अल्पसंख्यक संस्थानों पर आरटीई याचिका, सुप्रीम कोर्ट ने CJI को भेजा मामला
सुप्रीम कोर्ट ने आरटीई अधिनियम के तहत अल्पसंख्यक संस्थानों को शामिल करने की याचिका को मुख्य न्यायाधीश के पास भेजा। याचिका में आरटीई अधिनियम की कुछ धाराओं की वैधता को चुनौती दी गई है, जिसमें धार्मिक और गैर-धार्मिक शिक्षा प्रदान करने वाले स्कूलों को शामिल करने की मांग की गई है। याचिकाकर्ता ने सभी स्कूलों पर आरटीआई अधिनियम और शिक्षक पात्रता परीक्षा को समान रूप से लागू करने का आग्रह किया है।
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सुप्रीम कोर्ट ने अल्पसंख्यक संस्थानों को आरटीई के तहत लाने की याचिका CJI के पास भेजी (फाइल फोटो)
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बच्चों के लिए मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा के अधिकार (आरटीई) अधिनियम से संबंधित एक याचिका को भारत के मुख्य न्यायाधीश के समक्ष उचित आदेशों के लिए प्रस्तुत किया जाए।
जस्टिस दीपंकर दत्ता और आगस्टिन जार्ज मसीह की पीठ ने बुधवार को नोट किया कि आरटीई अधिनियम से संबंधित एक समान मुद्दा सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष लंबित है। पीठ ने एक जनहित याचिका की सुनवाई की, जिसमें यह निर्देश मांगा गया है कि धार्मिक और पंथनिरपेक्ष शिक्षा प्रदान करने वाले स्कूलों को आरटीई अधिनियम के प्रविधानों के तहत शामिल किया जाए।
याचिका में क्या कहा गया है?
अधिवक्ता अश्विनी कुमार दुबे की ओर से दायर याचिका अधिनियम की धाराओं 1(4) और 1(5) की वैधता को भी चुनौती देती है, जिसमें दावा किया गया है कि ये मनमानी हैं और संविधान के विभिन्न प्रविधानों के विपरीत हैं। इसमें अनुच्छेद 14 (कानून के समक्ष समानता) शामिल है।
याचिका में कहा गया है कि शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी), जिसे शिक्षकों की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए पेश किया गया था, गैर-अल्पसंख्यक संस्थानों पर लागू होती है लेकिन अल्पसंख्यक संस्थानों पर लागू नहीं होती। याचिकाकर्ता अनुच्छेद-32 के तहत जनहित याचिका दायर कर रहा है, जिसमें यह आदेश या निर्देश मांगा गया है कि आरटीआइ अधिनियम और शिक्षक पात्रता परीक्षा सभी स्कूलों पर समान रूप से लागू होनी चाहिए।
SC ने CJI से किया आग्रह
सुप्रीम कोर्ट ने सीजेआई से आग्रह किया कि वे विचार करें कि क्या इसके द्वारा निर्धारित मुद्दे एक बड़ी पीठ के पास संदर्भित करने के योग्य हैं। अनुच्छेद-30 अल्पसंख्यकों को शैक्षणिक संस्थान स्थापित और संचालित करने का अधिकार देता है।
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