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    'मेरा राज्य वाला रवैया छोड़ना होगा', भाषा नीति पर सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार को लगाई फटकार

    Updated: Mon, 15 Dec 2025 10:37 PM (IST)

    सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु को भाषा नीति पर फटकार लगाते हुए कहा कि उन्हें केंद्र सरकार से बात करनी चाहिए, न कि मीडिया में राय देनी चाहिए। यह मामला सेंट् ...और पढ़ें

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    सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु को फटकारा। (फाइल फोटो)

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने आज एक मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि तमिलनाडु को अपनी दो-भाषा नीति को बनाए रखने की मांग पर केंद्र सरकार से बात करनी चाहिए, न कि मीडिया में अपनी राय देनी चाहिए। यह मामला नए सेंट्रल स्कूलों के लिए जमीन के आवंटन से जुड़ा था, जो तीन-भाषा नीति का पालन करेंगे।

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    मामले की सुनवाई दो जजों की बेंच कर रही है। जस्टिस बीवी नागारत्ना ने कहा, "इसे भाषा का मुद्दा न बनाएं। हम एक संघीय समाज हैं। आप गणतंत्र का हिस्सा हैं। अगर आप एक कदम आगे आएंगे, तो वे (केंद्र) भी एक कदम आगे आएंगे... 'मेरा राज्य-मेरा राज्य' वाला रवैया छोड़ना होगा।"

    'तीन की बजाय दो भाषा नीति जैसी शर्तें लगा सकते हैं'

    उनका जवाब तब आया जब राज्य की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील पी. विल्सन ने तमिलनाडु की आपत्तियों को दोहराते हुए कहा कि प्रस्तावित जवाहर नवोदय विद्यालय तीन-भाषा फॉर्मूले का पालन करते हैं, जबकि राज्य में दो-भाषा की कानूनी नीति है। इस पर जस्टिस नागरत्ना ने सलाह देते हुए कहा कि राज्य जवाहर नवोदय विद्यालयों में अपनाई जाने वाली तीन-भाषा नीति के बजाय, दो-भाषा नीति जैसी शर्तें लगा सकता है।

    'कृपया सकारात्मक रवैया अपनाएं'

    जस्टिस नागरत्ना ने कहा, "आंध्र प्रदेश के बंटवारे के बाद, तमिलनाडु को सारी शोहरत मिली है। यह दक्षिण भारत का सबसे बड़ा इंडस्ट्रियलाइज्ड राज्य है... आप इस मौके का फायदा उठाएं। इसे थोपा हुआ न समझें, यह आपके स्टूडेंट्स के लिए एक मौका है।"

    उन्होंने आगे कहा, "आप कह सकते हैं कि यह हमारी भाषा नीति है। वे इस पर गौर करेंगे। वे आपकी नीति को गलत साबित नहीं कर सकते। अपने एक्ट और आप इसे कैसे लागू कर रहे हैं, इसके बारे में केंद्र सरकार के सचिवों को बताएं। कृपया सकारात्मक रवैया रखें।"

    जस्टिस नागरत्ना और जस्टिस आर महादेवन की बेंच ने अधिकारियों को यह भी निर्देश दिया कि वे तमिलनाडु के हर जिले में जेएनवी स्थापित करने के लिए जरूरी जमीन की मात्रा का पता लगाएं। कोर्ट ने यह साफ कर दिया कि आज उसने जो कार्रवाई करने का आदेश दिया है, वह सिर्फ शुरुआती जांच के लिए है। जजों ने कहा, "हम सिर्फ एक कार्रवाई कर रहे हैं। हम आपसे आज नींव का पत्थर रखने के लिए नहीं कह रहे हैं।"

    मद्रास हाई कोर्ट ने क्या कहा था?

    अपने निर्देशों में कोर्ट ने यह भी साफ किया कि उसके आदेश छात्रों के हित में जारी किए गए हैं। इससे पहले, मद्रास हाई कोर्ट ने कहा था कि जवाहर नवोदय विद्यालय तमिलनाडु तमिल लर्निंग एक्ट, 2006 का उल्लंघन नहीं करेंगे, और राज्य को निर्देश दिया था कि वह दो महीने के अंदर हर जिले में 240 छात्रों के लिए अस्थायी रहने की व्यवस्था करे।

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