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    कोविड टीके के दुष्प्रभाव के दावे पर SC ने उठाया सवाल, शीर्ष अदालत ने सुरक्षित रखा आदेश

    Updated: Thu, 13 Nov 2025 11:03 PM (IST)

    सुप्रीम कोर्ट ने कोविड टीकों के दुष्प्रभाव के दावों पर सवाल उठाते हुए याचिकाकर्ताओं से भारत सरकार के आंकड़ों पर अविश्वास करने का कारण पूछा। याचिकाकर्ताओं ने मौतों के आंकड़े छिपाने का आरोप लगाया। कोर्ट ने कहा कि टीकों के कारण मौतों का आंकड़ा सरकार कम दिखा रही है। केंद्र ने कहा कि टीके सुरक्षित हैं और भारत के प्रोटोकॉल की वैश्विक स्तर पर सराहना हुई है। अदालत ने मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया है।

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    कोविड टीकों पर SC का कड़ा रुख (फाइल फोटो)

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। कोविड टीके के दुष्प्रभाव के दावे पर सुप्रीम कोर्ट ने सवाल उठाया है। शीर्ष कोर्ट ने गुरुवार को याचिकाकर्ताओं से कहा, आप ब्रिटेन द्वारा दिए गए आंकड़ों पर भरोसा करते हैं, लेकिन भारत सरकार द्वारा दिए गए आंकड़ों पर नहीं। याचिकाकर्ताओं ने दावा किया था कि अधिकारियों ने कोविड वैक्सीन के प्रतिकूल प्रभावों के कारण मौतों की चिंताजनक रूप से कम संख्या की सूचना दी है।

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    सरल शब्दों में कहें तो कोविड टीकों के कारण अधिक लोगों की मौत हुई, लेकिन सरकार मौत का आंकड़ा छिपा रही है। शीर्ष अदालत ने मामले में अपना आदेश सुरक्षित रख लिया। पीठ ने पक्षकारों से लिखित में अपनी दलीलें पेश करने को कहा और कहा कि वह सभी बातों पर विचार करने के बाद आदेश पारित करेगी।

    दो महिलाओं की गई थी जान

    जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ कोविड टीकों से संबंधित याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी। इनमें से एक याचिका में आरोप लगाया गया था कि 2021 में कोविशील्ड वैक्सीन की पहली खुराक लेने के बाद दो महिलाओं की जान चली गई थी। आरोप है कि टीकाकरण के बाद, दोनों महिलाओं को गंभीर प्रतिकूल प्रभावों का सामना करना पड़ा।

    याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कालिन गोंजाल्विस ने कहा कि ब्रिटेन में भी यही टीका इस्तेमाल किया गया था। भारत में ब्रिटेन की तुलना में 30 गुना अधिक टीके लगाए गए। उन्होंने दावा किया कि ब्रिटेन आंकड़े पारदर्शी तरीके से पेश कर रहा है, वहीं भारत मौतों के आंकड़े छिपा रहा है।

    याचिताकाकर्ताओं की मांग

    गोंजाल्विस ने कहा कि ब्रिटेन का डाटा सही प्रतीत होता है। उन्होंने कहा कि सरकार के आंकड़ों की ब्रिटेन के आंकड़ों से तुलना करने पर भारत में टीकाकरण के बाद प्रतिकूल प्रभाव के कारण होने वाली मौतों का आंकड़ा लगभग 33 हजार हो सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि स्वतंत्र विशेषज्ञ समिति इस पहलू पर विचार कर सकती है। गोंजाल्विस ने कहा कि याचिकाकर्ताओं की मांग है कि स्वतंत्र विशेषज्ञ समिति इस मामले की जांच करे।

    पीठ ने कहा, आप ब्रिटेन सरकार द्वारा अपलोड किए गए डाटा पर भरोसा करते हैं और हमारी सरकार द्वारा अपलोड किए गए डाटा पर भरोसा नहीं करते हैं। केंद्र की ओर से अतिरिक्त सालिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने कहा कि इस मुद्दे पर पहले ही विचार किया जा चुका है और सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में अपना फैसला सुना दिया है। उन्होंने दिसंबर 2024 तक के आंकड़े पेश करते हुए कहा कि भारत में अब तक 220 करोड़ कोविड टीके लगाए गए हैं।

    टीके लगाने के बाद 1,171 मौतें दर्ज की गईं, जो 0.00005 प्रतिशत है। चिकित्सा अनुसंधान से साबित हुआ है कि टीके ने महामारी के दौरान लाखों जानें बचाईं। भाटी ने कहा, हम यह नहीं कह सकते कि कोई भी चीज पूरी तरह से सुरक्षित है। हर दवा का कोई न कोई दुष्प्रभाव होता ही है।

    भारत के प्रोटोकॉल की वैश्विक स्तर पर हुई सराहना

    यह अलग-अलग लोगों के शरीर पर अलग असर करता है। हर व्यक्ति का डीएनए अलग होता है, इसलिए किसी दवा का असर यूरोपीय, अफ्रीकी और भारतीय आबादी पर अलग-अलग हो सकता है। उन्होंने कहा कि भारत में स्वैच्छिक कोविड टीकाकरण प्रणाली है। भारत के प्रोटोकाल की वैश्विक स्तर पर सराहना हुई है।

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