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    शादी का झांसा देकर दुष्कर्म की एफआईआर सुप्रीम कोर्ट ने की खारिज, कहा- 'बदले की भावना से की गई कार्रवाई'

    Updated: Wed, 01 Oct 2025 08:03 PM (IST)

    सुप्रीम कोर्ट ने शादी का झांसा देकर बलात्कार के आरोपी एक व्यक्ति के खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द कर दिया। कोर्ट ने कहा कि एफआईआर बाद में दर्ज की गई जो बदले की भावना से प्रेरित थी। मामला एक नगर निगम की महिला कर्मचारी और उसके सहकर्मी से जुड़ा है जिसमें महिला ने सहकर्मी पर शादी का वादा करके यौन संबंध बनाने का आरोप लगाया था।

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    सुप्रीम कोर्ट ने रद्द की शख्स के खिलाफ दर्ज एफआईआर और चार्जशीट। फाइल फोटो

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक फैसले में एक शख्स के खिलाफ दर्ज एफआईआर और चार्जशीट को रद्द कर दिया, जिसमें उसे शादी का झांसा देकर बलात्कार का आरोपी बनाया गया था। इसके साथ ही, कोर्ट ने इस मामले में कहा कि, ''एफआईआर बाद में लिखी गई जो आने वाले परिणामों का बदला लेने के उद्देश्य से थी।''

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    इस मामले में जस्टिस संजय करोल और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की बेंच ने मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के उस फैसले को रद्द कर दिया, जिसमें कार्यवाही रद्द करने से इनकार कर दिया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एफआईआर तभी दर्ज की गई जब आरोपी के आवेदन पर शिकायतकर्ता को उसके नियोक्ता द्वारा कारण बताओ नोटिस दिया गया।

    क्या था पूरा मामला?

    पूरा मामला नगर निगम में काम करने वाली एक महिला कर्मचारी और उसके सहकर्मी के इर्द-गिर्द घूमता है। महिला कर्मचारी ने अपने सहकर्मी सहायक राजस्व निरीक्षक पर आरोप लगाया की उसने शादी का झांसा देकर उसके साथ शारीरिक संबंध बनाए। महिला ने बताया कि 15 मार्च 2023 को शख्स ने महिला के साथ संबंध बनाए जो अप्रैल ता जारी रहा। शादीशुदा और एक बेटा होने के बावजूद शख्स ने उसके साथ शादी करने का वादा किया, लेकिन बाद में जब महिला ने उससे शादी के बारे में पूछा तो शख्स ने इनकार कर दिया और किसी दूसरे व्यक्ति के साथ शादी करनरे की सलाह दी।

    बदले की भावना से की गई कार्रवाई

    शिकायतकर्ता महिला ने बाद में सहकर्मी के खिलाफ दुष्कर्म का मामला दर्ज कराया। लेकिन एफआईआर दर्ज करने के समय को लेकर लगातार सवाल उठते रहे। ऐसा इसलिए क्योंकि एफआईआर से पहले आरोपी सहकर्मी ने महिला के खिलाफ भी कई शिकायतें दर्ज की थी। इन शिकायतों में शख्स ने आत्महत्या की धमकी और दुर्व्यवहार सहित उत्पीड़न का आरोप लगाया गया था। इस मामले में महिला को नगर निगम की ओर से कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था। जिसमें ये भी चेतावनी दी गई थी कि अगर महिला के आचरण में सुधार नहीं हुआ तो उसे नौकरी से निकाला जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि, ''कारण बताओ नोटिस जारी होने के बाद ही एफआईआर दर्ज की गई थी, जिससे यह संभावना बनी रहती है कि यह "बाद में दर्ज की गई और किसी खतरनाक परिणामों का बदला लेने का एक साधन" थी।