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    Supreme Court: महिला वकील को सुप्रीम कोर्ट से राहत, मणिपुर पुलिस की गिरफ्तारी से दी सुरक्षा

    By AgencyEdited By: Mohd Faisal
    Updated: Tue, 11 Jul 2023 02:48 PM (IST)

    सुप्रीम कोर्ट ने एक महिला वकील को गिरफ्तारी से राहत दी है। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को एक महिला वकील को हिंसा प्रभावित राज्य की यात्रा के लिए मणिपुर पुलिस द्वारा दर्ज की गई एफआईआर के संबंध में गिरफ्तारी से सुरक्षा प्रदान की है। सीजेआई ने उन्हें गिरफ्तारी से राहत देते हुए उनकी याचिका को इस शुक्रवार को आगे की सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया है।

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    Supreme Court: महिला वकील को सुप्रीम कोर्ट से राहत, मणिपुर पुलिस की गिरफ्तारी से दी सुरक्षा (फाइल फोटो)

    नई दिल्ली, एजेंसी। सुप्रीम कोर्ट ने एक महिला वकील को गिरफ्तारी से राहत दी है। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को एक महिला वकील को हिंसा प्रभावित राज्य की यात्रा के लिए मणिपुर पुलिस द्वारा दर्ज की गई एफआईआर के संबंध में गिरफ्तारी से सुरक्षा प्रदान की है।

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    CJI की बेंच ने की मामले की सुनवाई

    मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने वकील दीक्षा द्विवेदी की ओर से पेश वरिष्ठ वकील सिद्धार्थ दवे की दलीलों पर ध्यान दिया। साथ ही सीजेआई ने उन्हें गिरफ्तारी से राहत देते हुए उनकी याचिका को इस शुक्रवार को आगे की सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया है।

    सुप्रीम कोर्ट ने महीला के वकील को दिया निर्देश

    इस पीठ में न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा भी शामिल थे। इस पीठ ने वकील सिद्धार्थ दवे से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की सहायता करने वाले वकील को याचिका की एक प्रति देने को कहा। बता दें कि सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता जातीय हिंसा से संबंधित याचिकाओं को लेकर मणिपुर सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं।

    तथ्य-खोज टीम का हिस्सा थीं दीक्षा द्विवेदी

    दरअसल, दीक्षा द्विवेदी महिला वकीलों के संघ नेशनल फेडरेशन ऑफ इंडियन वुमेन (एनएफआईडब्ल्यू) की तीन सदस्यीय तथ्य-खोज टीम का हिस्सा थीं। महिला वकील मणिपुर हिंसा पर तथ्य-खोज मिशन पर थी और राज्य पुलिस ने भारत के खिलाफ युद्ध छेड़ने के अपराध सहित विभिन्न दंडात्मक प्रावधानों का हवाला देते हुए उनके खिलाफ एक FIR दर्ज की थी।

    सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?

    सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने राज्य में हुई हिंसा से जुड़ी कई याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए कहा कि यह राज्य में तनाव बढ़ाने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाला एक मंच नहीं है। कोर्ट ने अदालती कार्यवाही के दौरान जातीय समूहों से संयम बरतने को कहा।