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    मनी लांड्रिंग मामले में मीडिया दिग्गज राघव बहल को सुप्रीम कोर्ट ने दिया ईडी की कार्रवाई से संरक्षण

    मनी लांड्रिंग के एक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को मीडिया दिग्गज राघव बहल को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की कार्रवाई से संरक्षण प्रदान कर दिया। इससे पहले तीन दिसंबर को दिल्ली हाई कोर्ट ने उन्हें किसी भी तरह का अंतरिम संरक्षण प्रदान करने से इन्कार कर दिया था।

    By TaniskEdited By: Updated: Wed, 15 Dec 2021 08:01 PM (IST)
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    राघव बहल को सुप्रीम कोर्ट ने दिया ईडी की कार्रवाई से संरक्षण।

    नई दिल्ली, प्रेट्र। मनी लांड्रिंग के एक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को मीडिया दिग्गज राघव बहल को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की कार्रवाई से संरक्षण प्रदान कर दिया। इससे पहले तीन दिसंबर को दिल्ली हाई कोर्ट ने उन्हें किसी भी तरह का अंतरिम संरक्षण प्रदान करने से इन्कार कर दिया था। हालांकि, उसने मामले को रद करने की बहल की याचिका पर ईडी को नोटिस जारी किया था।

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    प्रधान न्यायाधीश एनवी रमना की अध्यक्षता वाली पीठ ने बहल की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह की दलीलों पर संज्ञान लेते हुए आदेश दिया, 'नोटिस जारी कीजिए, तब तक कोई भी कार्रवाई नहीं की जाएगी।' शीर्ष अदालत ने बहल की ताजा अपील को इस मामले में पहले से लंबित याचिका के साथ टैग करने का आदेश भी दिया। विकास सिंह की दलील थी कि दिल्ली हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ता को कोई संरक्षण प्रदान नहीं किया है, इसलिए विशेष अनुमति याचिका दाखिल की गई है।

    तीन दिसंबर को उच्च न्यायालय ने ईडी को याचिका पर अपना जवाब दाखिल करने के लिए तीन सप्ताह का समय दिया था। याचिका में मनी लान्ड्रिंग मामले को रद करने की मांग के अलावा, जांच अधिकारी द्वारा बहल को जारी किए गए नोटिस को भी चुनौती दी गई है। बहल के वकील ने कहा कि क्या कोई कठोर कदम उठाने का वैसा ही आदेश जारी किया जाएगा, जैसा मूल अपराध से जुड़े मामले में हाई कोर्ट ने दिया था ? हाई कोर्ट के जज ने कहा था, ' श्रीमान, मैं इस पर विचार नहीं करूंगा। साथ ही सुनवाई के लिए 27 जनवरी की तारीख दे दी थी।

    याचिकाकर्ता के खिलाफ ईडी का मामला आयकर (आई-टी) विभाग की शिकायत से उत्पन्न हुआ है। यह लंदन में एक अज्ञात संपत्ति खरीदने के लिए कथित धन शोधन से संबंधित है। आयकर विभाग ने काला धन (अघोषित विदेशी आय और संपत्ति) और कर अधिरोपण अधिनियम 2015 के तहत आकलन वर्ष 2018-2019 के लिए दाखिल रिटर्न में कथित अनियमितताओं के लिए याचिकाकर्ता के खिलाफ कार्यवाही शुरू की थी।