'अंतरराज्यीय रूट पर दें निजी ऑपरेटरो को अनुमति' सुप्रीम कोर्ट ने यूपी और एमपी परिवहन अधिकारियों को चर्चा करने का दिया निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के परिवहन अधिकारियों को तीन महीने के भीतर अंतरराज्यीय परिवहन समझौते पर चर्चा करने का निर्देश दिया है। अदालत ने कहा कि यदि मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश को संतुष्ट करता है कि एमपीएसआरटीसी बंद हो रहा है, तो निजी ऑपरेटरों को अंतरराज्यीय मार्गों पर अनुमति देने पर विचार किया जा सकता है। सहमति न बनने पर मध्य प्रदेश भविष्य के कदम तय करने के लिए स्वतंत्र है।

सुप्रीम कोर्ट का अंतरराज्यीय परिवहन पर निर्देश
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के परिवहन अधिकारियों को अगले तीन महीने में अंतरराज्यीय पारस्परिक परिवहन समझौते के तौर तरीकों पर चर्चा करने का निर्देश दिया।
न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता और आगस्टीन जार्ज मसीह ने परिवहन विभाग के प्रमुख सचिवों से कहा कि जिम्मेदार अधिकारियों के साथ परस्पर सुविधाजक स्थान पर इस मसले पर विचार करें।
सुप्रीम कोर्ट का अंतरराज्यीय परिवहन पर निर्देश
पीठ ने कहा, 'यदि वास्तव में मध्य प्रदेश राज्य के परिवहन प्राधिकारी उत्तर प्रदेश राज्य के परिवहन प्राधिकारियों को संतुष्ट कर देते हैं कि एमपीएसआरटीसी का समापन हो चुका है या समापन के कगार पर है और इसलिए वह अपने लिए निर्धारित मार्गों पर स्टेज कैरिज चलाने की स्थिति में नहीं है, तो इन मार्गों को शामिल करने के लिए उचित निर्णय लिया जा सकता है।'
यूपी और एमपी को चर्चा का आदेश
शीर्ष अदालत ने कहा कि मध्य प्रदेश के प्राइवेट आपरेटरों को उत्तर प्रदेश जाने और आने के लिए अंतरराज्यीय मार्गों पर बस संचालन पर आम सहमति बनाई जानी चाहिए। पीठ ने कहा कि दोनों राज्यों के बीच आम सहमति न बनने की स्थिति में, मध्य प्रदेश राज्य को भी भविष्य के कदम पर फैसला लेने की छूट होगी।
अंतरराज्यीय परिवहन समझौते को दोनों राज्यों की सहमति के बगैर रद नहीं किया जा सकता है। हम दोहराते हैं कि ये नीतिगत मामला है, इसलिए दोनों राज्यों पर निर्भर है कि वे कैसे इस मामले का समाधान निकालते हैं।
(न्यूज एजेंसी पीटीआई के इनपुट के साथ)

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