Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    'वर्दी पहनने के बाद जाति और धर्म से ऊपर उठकर काम करें', SC की महाराष्ट्र पुलिस को फटकार

    Updated: Thu, 11 Sep 2025 03:47 PM (IST)

    सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र के अकोला में 2023 में हुए सांप्रदायिक दंगों की जांच के लिए एक विशेष जांच दल (SIT) बनाने का आदेश दिया है। कोर्ट ने पुलिस की पक्षपातपूर्ण जांच पर नाराजगी जताई। 17 वर्षीय मोहम्मद अफजल की याचिका पर यह आदेश आया जिन्होंने पुलिस पर निष्क्रियता का आरोप लगाया था। कोर्ट ने कहा कि पुलिस को बिना भेदभाव के निष्पक्ष जांच करनी चाहिए।

    Hero Image
    सुप्रीम कोर्ट ने सांप्रदायिक दंगों की जांच के लिए एक विशेष जांच दल (SIT) गठन करने का आदेश दिया है।

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र के अकोला में मई 2023 में हुए सांप्रदायिक दंगों की जांच के लिए एक विशेष जांच दल (SIT) गठन करने का आदेश दिया है। इसमें हिंदू और मुस्लिम दोनों समुदायों के वरिष्ठ पुलिस अफसर शामिल होंगे।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    कोर्ट ने महाराष्ट्र पुलिस की "पक्षपातपूर्ण" जांच पर सख्त नाराजगी जताई और कहा कि पुलिस का काम बिना किसी धर्म या जाति के भेदभाव के कानून के मुताबिक निष्पक्ष जांच करना है।

    यह आदेश 17 साल के मोहम्मद अफजल मोहम्मद शरीफ की याचिका पर आया, जिन्होंने दंगों में हमले का शिकार होने के बावजूद पुलिस की निष्क्रियता का आरोप लगाया।

    अकोला में मई 2023 में एक सोशल मीडिया पोस्ट को लेकर भड़के दंगों में एक व्यक्ति की मौत हो गई थी, जबकि आठ लोग, जिनमें दो पुलिसवाले शामिल थे, घायल हुए थे। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में महाराष्ट्र पुलिस की लापरवाही और एकतरफा रवैये को गंभीरता से लिया और कहा कि पुलिस को अपनी वर्दी की गरिमा को समझना होगा।

    क्या है मामला?

    मई 2023 में अकोला के पुराने शहर में सांप्रदायिक हिंसा भड़क उठी थी। एक सोशल मीडिया पोस्ट ने आग में घी का काम किया, जिसके बाद हालात बेकाबू हो गए। इस हिंसा में विलास महादेवराव गायकवाड़ की मौत हो गई, जबकि 17 साल के मोहम्मद अफजल गंभीर रूप से घायल हो गए।

    अफजल ने अपनी याचिका में बताया कि दंगों के दौरान उन पर जानलेवा हमला हुआ, लेकिन पुलिस ने उनकी शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं की।

    अफजल ने 15 मई 2023 को अस्पताल में भर्ती होने के दौरान पुलिस को अपना बयान दर्ज कराया था, लेकिन पुलिस ने न तो कोई केस दर्ज किया और न ही जांच शुरू की। याचिकाकर्ता का कहना है कि पुलिस ने गंभीर अपराध होने के बावजूद मामले को दबाने की कोशिश की।

    हाई कोर्ट में नहीं मिली राहत

    मोहम्मद अफजल ने पुलिस की निष्क्रियता और पक्षपातपूर्ण रवैये के खिलाफ बॉम्बे हाई कोर्ट (नागपुर बेंच) में याचिका दायर की थी। उन्होंने कोर्ट से पुलिस अफसरों के खिलाफ सिविल और क्रिमिनल कार्रवाई की मांग की थी। लेकिन 25 जुलाई 2024 को हाई कोर्ट ने उनकी याचिका खारिज कर दी और कोई राहत देने से इनकार कर दिया। इसके बाद अफजल ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया।

    सुप्रीम कोर्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए महाराष्ट्र पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठाए। जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस अलोक अराधे की बेंच ने कहा कि पुलिस को धर्म और जाति से ऊपर उठकर निष्पक्षता के साथ काम करना चाहिए।

    SIT गठन का आदेश

    सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र के गृह सचिव को निर्देश दिया कि वे हिंदू और मुस्लिम दोनों समुदायों के वरिष्ठ पुलिस अफसरों को शामिल करके एक विशेष जांच दल (SIT) बनाएं।

    यह SIT अकोला दंगों की निष्पक्ष और गहन जांच करेगी। कोर्ट का यह कदम इसलिए भी खास है, क्योंकि यह पहली बार है जब सांप्रदायिक दंगों की जांच के लिए दोनों समुदायों के अफसरों को शामिल करने का आदेश दिया गया है।

    कोर्ट ने साफ किया कि पुलिस का काम कानून को लागू करना है, न कि पक्षपात करना। कोर्ट ने साफ कर दिया कि पुलिस को धर्म और जाति से ऊपर उठकर काम करना होगा। SIT के गठन से यह उम्मीद की जा रही है कि दंगों के पीछे की सच्चाई सामने आएगी और पीड़ितों को इंसाफ मिलेगा।

    यह भी पढ़ें: क्या अभी भी रूसी सेना में शामिल हो रहे हैं भारतीय? दावों पर आया विदेश मंत्रालय का रिएक्शन