Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Electoral Bonds: सुप्रीम कोर्ट ने राजनीतिक दलों को चुनावी बॉन्ड से मिले चंदे के आंकड़े पेश करने का चुनाव आयोग को दिया आदेश

    By Jagran NewsEdited By: Devshanker Chovdhary
    Updated: Thu, 02 Nov 2023 09:45 PM (IST)

    सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को निर्देश दिया है कि वह राजनीतिक दलों को चुनावी बॉन्ड के जरिए मिले चंदे के 30 सितंबर 2023 तक के आंकड़े सील बंद लिफाफे में पेश करे। चुनावी बॉन्ड योजना की वैधानिकता पर गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने सभी पक्षों की बहस पूरी होने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया।

    Hero Image
    चुनावी बॉन्ड पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई पूरी फैसला सुरक्षित। (फाइल फोटो)

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को निर्देश दिया है कि वह राजनीतिक दलों को चुनावी बॉन्ड के जरिए मिले चंदे के 30 सितंबर 2023 तक के आंकड़े सील बंद लिफाफे में पेश करे। चुनावी बॉन्ड योजना की वैधानिकता पर गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने सभी पक्षों की बहस पूरी होने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    गोपनीयता को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने किया सवाल

    सुनवाई के दौरान कोर्ट ने चुनावी बॉन्ड योजना में दानदाता के नाम की गोपनीयता और योजना के अपारदर्शी होने को लेकर सरकार से कई सवाल किये। कोर्ट ने यह भी सुझाव दिया कि एक नयी प्रणाली तैयार की जा सकती है जिसमें मौजूदा प्रणाली की खामियां न हों। तैयार की जाने वाली नयी प्रणाली में आनुपातिक रूप से संतुलन होना चाहिए।

    हालांकि, कोर्ट ने इस बारे में कोई आदेश न देने का संकेत देते हुए कहा कि ये कैसे करना है यह आपको तय करना है। हम उस क्षेत्र में नहीं जाएंगे जो हमारा कार्यक्षेत्र नहीं है। वैसे केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनावी बॉन्ड योजना को सही ठहराते हुए कहा कि योजना में गोपनीयता इसलिए रखी गई है ताकि नाम उजागर होने से दानदाता को प्रतिफल न झेलना पड़े।

    यह भी पढ़ेंः Supreme Court: चुनावी बॉन्ड योजना को लेकर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी, कहा- इसमें चुनिंदा गुमनामी और गोपनीयता का प्रावधान

    गोपनीयता के सवाल पर क्या बोली सरकार?

    सरकार ने यह भी साफ किया कि गोपनीयता चुनिंदा नहीं है बल्कि प्रणाली को पूरी तरह गोपनीय बनाया गया है इसमें केंद्र सरकार को भी दानदाता की जानकारी नहीं होती। केंद्र सरकार ने इस संबंध में एसबीआई के चेयरमैन के पत्र का भी उल्लेख किया जिसमें योजना को पूरी तरह से गोपनीय रखने और किसी से भी कानून में दी व्यवस्था के अलावा जानकारी न साझा किये जाने की बात कही गई थी।

    यह भी कहा कि गोपनीयता भंग होने पर फुट प्रिंट सृजित होंगे और अगर कोई गोपनीयता का उल्लंघन करता है तो वह विश्वास भंग करने के अपराध का भागी होगा। केंद्र सरकार की ओर से यह बात गोपनीयता को लेकर कोर्ट के सवालों का जवाब देते हुए सालिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कही।

    सुनवाई पूरी होने के बाद सबसे अंत में सालिसिटर जनरल ने कोर्ट से कहा कि उनका सुझाव है कि अगर कोर्ट चाहता है और संतुष्ट होता है तो वह स्टेट बैंक आफ इंडिया (एसबीआइ) की जगह रिजर्व बैंक आफ इंडिया (आरबीआइ) को चुनावी बॉन्ड जारी करने वाला बैंक बना सकते हैं। हालांकि इसमें कुछ प्रशासनिक मुद्दे हो सकते हैं।

    चुनावी बॉन्ड योजना में एसबीआई जारी करता है बॉन्ड

    मालूम हो कि मौजूदा चुनावी बॉन्ड योजना में एसबीआइ चुनावी बॉन्ड जारी करता है। सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं हैं जिनमें चुनावी बॉन्ड योजना की वैधानिकता को चुनौती दी गई है। प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, संजीव खन्ना, बीआर गवई, जेबी पार्डीवाला और मनोज मिश्रा की पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने इस पर तीन दिन लंबी सुनवाई की। गुरुवार को भी कोर्ट ने योजना को लेकर अपने सवाल जारी रखे।

    मामले की सुनवाई के अंत में जब चुनाव आयोग की ओर से पक्ष रखा जा रहा था तो कोर्ट ने आयोग से 12 अप्रैल 2019 के अंतरिम आदेश के मुताबिक चुनावी बॉन्ड के जरिये राजनीतिक दलों को प्राप्त चंदे के आंकड़े मांगे। आयोग ने सील बंद लिफाफे में कोर्ट में आंकड़े पेश किये, लेकिन कोर्ट ने पूछा कि क्या ये आंकड़े अप टू डेट यानी 2023 तक के हैं।

    यह भी पढ़ेंः Electoral Bonds Scheme: 'जनता को चुनावी चंदे का स्त्रोत जानने का अधिकारी नहीं' केंद्र सरकार ने SC में दिया जवाब

    आयोग के वकील अमित शर्मा ने कहा कि कोर्ट का वह अंतरिम आदेश सिर्फ 2019 तक के आंकड़ों की बात कहता है इसलिए आंकड़े सिर्फ 2019 तक के ही हैं। पीठ इस जवाब से संतुष्ट नहीं हुई। कोर्ट ने कहा कि उनके आदेश में सिर्फ 2019 तक के आंकड़े की बात नहीं है बल्कि उस आदेश का मतलब है कि आयोग को लगातार आंकड़े एकत्र करते रहने चाहिए थे। आयोग को इस संबंध में कोई भ्रम था तो वह कोर्ट से स्पीष्टीकर ले सकता था।

    कोर्ट ने कहा कि वह फिर से आदेश देते हैं कि चुनाव आयोग दो सप्ताह के भीतर राजनीतिक दलों को चुनावी बॉन्ड से मिले चंदे के 30 सितंबर 2023 तक के आंकड़े पेश करें। आयोग ये आंकड़े सील बंद लिफाफे में सुप्रीम कोर्ट के रजिस्ट्रार (ज्युडीशियल) को सौंपेगा।

    सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं की ओर से योजना को अपारदर्शी बताया गया। एक हस्तक्षेप अर्जीकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ वकील विजय हंसारिया ने कहा कि दानदाता का पहचान गोपनीय रखने का अधिकार मतदाताओं के जानने के अधिकार से ऊपर कैसे हो सकता है। अन्य याचिकाकर्ताओं ने भी योजना में गोपनीयता से भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलने की बात कही।