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    SIR पर सुप्रीम सुनवाई: SC ने कहा- BLO को मिल रही धमकियां गंभीर, EC बोला- सहयोग न करने पर पुलिस को एक्शन लेने का पूरा अधिकार

    Updated: Tue, 09 Dec 2025 11:30 PM (IST)

    सुप्रीम कोर्ट ने राज्य चुनाव आयोग (एसआईआर) मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि बूथ लेवल अधिकारियों (बीएलओ) को मिल रही धमकियां गंभीर हैं। चुनाव आयोग ने कहा ...और पढ़ें

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    सुप्रीम कोर्ट ने BLO को मिल रही धमकी को बताया गंभीर

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को पश्चिम बंगाल में विशेष मतदाता सूची सघन पुनरीक्षण (एसआइआर) में बीएलओ को मिल रही धमकियों और राज्य सरकारों के कथित असहयोग पर चिंता जताते हुए इसे गंभीर स्थिति बताया।

    कोर्ट ने चुनाव आयोग से कहा कि वह इस स्थिति से निबटे वरना अराजकता फैल जाएगी। यह भी कहा कि वह एसआइआर में बाधा या असहयोग की घटनाएं कोर्ट के संज्ञान में लाए, कोर्ट उचित आदेश देगा।

    कोर्ट यह सुनिश्चति करना चाहता है कि एसआइआर बिना किसी बाधा या खामियों के हो। हालांकि चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि आयोग के पास व्यापक अधिकार हैं।

    राज्य सरकार को आयोग का सहयोग करना चाहिए और सुरक्षा देनी चाहिए अगर राज्य सरकार सहयोग नहीं करती तो आयोग के पास स्थानीय पुलिस को प्रतिनियुक्ति पर लेने के अलावा कोई विकल्प नहीं है और अगर स्थिति फिर भी नहीं सुधरती तो केंद्रीय बलों को बुलाना होगा।

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    ये टिप्पणियां प्रधान न्यायाधीश सूर्यकांत और जोयमाल्या बाग्ची की पीठ ने बंगाल में एसआइआर के दौरान बीएलओ को मिल रही धमकियों का मुद्दा उठाने वाली याचिका पर सुनवाई के दौरान कीं। कोर्ट ने सनातनी संसद संगठन की ओर से दाखिल याचिका पर चुनाव आयोग को नोटिस जारी करजवाब मांगा है। याचिका में पश्चिम बंगाल में एसआइआर का अंतिम प्रकाशन होने तक राज्य पुलिस को चुनाव आयोग के अधीन करने की मांग है।

    वैकल्पिक मांग में एसआइआर पूरी होने तक बंगाल में केंद्रीय बलों की तैनाती का आदेश मांगा गया है।संगठन की ओर से बहस करते हुए वरिष्ठ वकील वी. गिरि ने कहा कि पश्चिम बंगाल में एसआइआर ड्यूटी में लगे बीएलओ के खिलाफ हिंसा की घटनाएं बढ़ रही हैं इसलिए वहां केंद्रीय बलों की तैनाती का आदेश दिया जाए क्योंकि राज्य सरकार इसका विरोध कर रही है। गिरि ने कहा कि बीएलओ को सुरक्षा मिलनी चाहिए।

    लेकिन जस्टिस बाग्ची ने मांग पर सवाल उठाते हुए कहा कि याचिका में मात्र एक एफआइआर का जिक्र है इसके अलावा किसी और घटना का जिक्र नहीं है। बाकी उल्लेख तो ऐतिहासिक संदर्भ हैं तो क्या एक एफआइआर के आधार पर कोई आदेश जारी किया जा सकता है। तभी चुनाव आयोग की ओर से पेश वरिष्ठ वकील राकेश द्विवेदी ने कहा कि आयोग ने बंगाल सरकार को कड़ा पत्र लिखा है क्योंकि बीएलओ को धमकाने, उनके काम में बाधा डालने और राज्य चुनाव आयोग के कार्यालय का घेराव की घटनाएं सामने आयी हैं।

    जस्टिस बाग्ची ने कहा कि कुछ याचिकाकर्ताओं का कहना है कि आयोग के कार्यालय का घेराव इसलिए किया गया क्योंकि बीएलओ बहुत थक गए थे और आत्महत्या कर रहे थे। द्विवेदी ने कहा कि इस तरह की राजनीतिक धारणा बनाने की कोशिश की जा रही है। द्विवेदी ने कहा कि आयोग ऐसे माहौल में काम कर रहा है जहां केरल, पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु राज्य सरकारें एसआइआर चाहती ही नहीं हैं विरोध कर रही हैं।

    उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को आयोग का सहयोग करना चाहिए और सुरक्षा देनी चाहिए। चीफ जस्टिस ने कहा कि वह किसी आरोप प्रत्यारोप में नहीं पड़ना चाहते लेकिन अगर बीएलओ के कामकाज में कोई बाधा आ रही है, पश्चिम बंगाल ही नहीं कहीं भी तो बताएं, कोर्ट आदेश देगा।

    कोर्ट याचिका पर नोटिस कर रहा है आयोग जवाब दाखिल करे। वरिष्ठ वकील विजय हंसारिया ने असम में एसआइआर न होने सिर्फ मतदाता सूची पुनरीक्षण होने का मामला उठाते हुए कहा कि वहां सबसे ज्यादा घुसपैठिये हैं। कोर्ट ने उनकी याचिका पर भी आयोग को नोटिस जारी किया।

    इसके अलावा उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु में एसआइआर से संबंधित याचिकाओं पर नोटिस किया। हालांकि कोर्ट ने लगातार नयी याचिकाओं पर टिप्पणी करते हुए कहा कि राजनीतिक दलों और नेताओं को लग रहा है कि इस मंच पर उनकी बात उठ सकती है। कोर्ट ने एसआइआर के राजनीतिकरण पर चिंता जताई।