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    'समाज हमें माफ नहीं करेगा...', कोरोना में डॉक्टरों की मौत से जुड़े मामले पर SC की टिप्पणी

    Updated: Tue, 28 Oct 2025 08:44 PM (IST)

    सुप्रीम कोर्ट ने कोरोना महामारी में जान गंवाने वाले डॉक्टरों के बीमा कवरेज मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि डॉक्टरों का ध्यान न रखने पर समाज हमें माफ नहीं करेगा। कोर्ट ने सरकार को निर्देश दिया कि बीमा कंपनियां वैध दावों का सम्मान करें। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि डॉक्टर की मृत्यु कोरोना संक्रमण से होने का प्रमाण देना होगा। कोर्ट ने मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया है।

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    कोर्ट ने मामले में बहस सुनकर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है (फाइल फोटो)

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। कोरोना महामारी के दौरान संक्रमित होकर जान गंवाने वाले डॉक्टरों को बीमा कवरेज देने से संबंधित मामले पर सुनवाई के दौरान मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर हम अपने डाक्टरों का ध्यान नहीं रखेंगे तो समाज हमें माफ नहीं करेगा। शीर्ष अदालत ने कहा कि मानव जीवन की रक्षा करने वाला पहला पेशा डाक्टर है। कोर्ट ने मामले में बहस सुनकर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है।

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    कोर्ट इस मामले में सरकार की बीमा योजना की पात्रता के प्रश्न पर विचार कर रहा है। विशेषकर उन मामलों में जहां डाक्टर आधिकारिक तौर पर सरकारी ड्यूटी पर नहीं थे, हालांकि महामारी के दौरान मरीजों की सेवा करते रहे। समाज को चिकित्सा पेशेवरों के साथ खड़े होने पर जोर देने वाली ये टिप्पणियां न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा और आर. महादेवन की पीठ ने कोरोना महामारी के दौरान जान गंवाने वाले चिकित्सा पेशेवरों के परिजनों द्वारा दाखिल याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान कीं।

    बीमा योजना की पात्रता से संबंधित याचिका

    याचिकाएं केंद्र सरकार की कोरोना महामारी से लड़ने वाले स्वास्थ्य कर्मियों के लिए बीमा योजना की पात्रता से संबंधित हैं। जस्टिस नरसिम्हा ने कहा कि अगर हम अपने डाक्टरों के साथ खड़े नहीं होंगे और उनकी देखभाल नहीं करेंगे तो ये देश हमें माफ नहीं करेगा। कोर्ट ने केंद्र सरकार की ओर से पेश अतिरिक्त सालिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी से कहा कि सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि बीमा कंपनियां वैध दावों का सम्मान करें।

    जस्टिस नरसिम्हा ने कहा कि अगर यह शर्त पूरी होती है कि वे कोविड 19 से निपटने के लिए काम कर रहे थे और उनकी मृत्यु कोविड 19 के कारण हुई है तो, आपको बीमा कंपनी को भुगतान के लिए बाध्य करना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि सिर्फ इसलिए कि वे सरकारी ड्यूटी पर नहीं थे, ये मान लेना कि वे मुनाफा कमा रहे थे या बेकार बैठे थे, सही नहीं है। हालांकि पीठ ने कहा कि वह व्यक्तिगत दावों की जांच नहीं करेगा, बल्कि दावों पर निर्णय लेने के लिए व्यापक सिद्धांत और दिशानिर्देश तय करेगा।

    'कोरोना संक्रमण के कारण मृत्यु का प्रमाण चाहिए'

    कोर्ट ने कहा कि मानदंड इस बात पर केंद्रित होंगे क्या वे डाक्टर सक्रिय रूप से चिकित्सा सेवा में लगे थे और क्या उनकी मृत्यु कोरोना संक्रमण के कारण हुई। पीठ ने कहा कि यह किसी विश्वसनीय साक्ष्य के जरिए साबित किया जाना चाहिए कि उक्त डाक्टर ने स्वेच्छा से अपने क्लीनिक या अस्पताल को मरीजों के परामर्श के लिए खुला रखकर मेडिकल सेवाएं प्रदान कीं। इस बात का भी प्रमाण होना चाहिए कि डाक्टर की मृत्यु कोरोना संक्रमण के कारण हुई।

    पीठ ने कहा कि इन दोनों सवालों के उत्तर मिलने के बाद यह प्रश्न करना हमारा काम नहीं है कि डाक्टर ने अपना क्लीनिक खोला था केवल कोविड के लिए अपनी सेवाएं दी थीं। कोर्ट ने अतिरिक्त सालिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी से कहा कि वह कोर्ट को आंकड़ें दें। वर्तमान प्रधानमंत्री बीमा योजना के अलावा अन्य समानांतर योजनाओं के बारे में भी जानकारी दें। पीठ ने कहा कि कोर्ट सिद्धांत निर्धारित करेगा और उसके आधार पर बीमा कंपनी से दावे किए जा सकेंगे। बीमा कंपनी कोर्ट के निर्णय के अनुसार विचार करेगी और आदेश पारित करेंगीं। इसके साथ ही कोर्ट ने मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया।