SIR के काम में लगाए गए BLO का दायित्व है कर्तव्य निर्वाहन, सुप्रीम कोर्ट की अहम टिप्पणी
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एसआईआर कार्यों में लगे बीएलओ को कर्तव्य निभाना चाहिए। कोर्ट ने राज्य सरकारों को जरूरत पड़ने पर अतिरिक्त कर्मचारी नियुक्त करने ...और पढ़ें

बीएलओ को कर्तव्य निर्वहन करना होगा: सुप्रीम कोर्ट
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को एसआइआर के काम में लगे बूथ लेबल आफीसर (बीएलओ) पर अत्यधिक दबाव और दिक्कतों की दलीलों पर कहा कि राज्यों ने एसआइआर के लिए चुनाव आयोग को जो कर्मचारी दिए हैं, कर्तव्यों का निर्वाहन करना उन कर्मचारियों का दायित्व है।
कोर्ट ने कहा कि अगर बीएलओ पर काम का अत्यधिक दबाव है तो राज्य सरकारें और कर्मचारी बढ़ाने पर विचार करें। इसके अलावा शीर्ष अदालत ने यह भी कहा कि अगर किसी बीएलओ के साथ कोई दिक्कत है तो ऐसे मामलों में केस दर केस विचार किया जा सकता है।
बीएलओ को कर्तव्य निर्वहन करना होगा
ये टिप्पणियां और निर्देश प्रधान न्यायाधीश सूर्यकांत और जोयमाल्या बाग्ची की पीठ ने बीएलओ पर काम के अध्यधिक दबाव और कई बीएलओ द्वारा आत्महत्या कर लेने का मुद्दा उठाने वाली याचिका पर सुनवाई के दौरान दिए। कोर्ट ने बीएलओ पर अत्यधिक दबाव की समस्या के निराकरण के लिए कुछ निर्देश भी जारी किये हैं।
कोर्ट ने ये आदेश तमिलनाडु के अभिनेता विजय की पार्टी टीवीके की ओर से दाखिल अर्जी पर सुनवाई के बाद दिये। हालांकि कोर्ट ने मरने वाले बीएलओ के लिए मुआवजा की मांग पर कोई आदेश नहीं दिया और कहा कि इस मुद्दे को पीडि़त परिवार या याचिकाकर्ता बाद में अर्जी देकर उठा सकता है।
इससे पहले अर्जीकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ वकील गोपाल शंकर नारायणन ने बीएलओ पर अत्यधिक दबाव और उनके खिलाफ एफआइआर दर्ज किये जाने का मुद्दा उठाते हुए कहा कि चुनाव आयोग उनके खिलाफ एफआइआर दर्ज कर रहा है इस तरह की दंडात्मक कार्रवाई कहां तक सही है। वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने भी कहा कि बीएलओ पर जो दबाव है वह चिंता का विषय है।
राज्य सरकारों को कर्मचारियों की संख्या बढ़ानी चाहिए
आखिर इतनी जल्दबाजी किस बात की है। उन्हें पर्याप्त समय दिया जाना चाहिए। शिक्षक और आंगनवाड़ी कर्मचारी ड्यूटी पर लगाए गए हैं। पीठ ने इन दलीलों पर कहा कि अगर राज्य सरकारों के सामने किसी तरह की दिक्कत आ रही है तो उन्हें कोर्ट आना चाहिए। राज्य सरकार क्यों नहीं बता रहीं।
पीठ ने कहा कि अगर बीएलओ पर काम का इतना दबाव है तो राज्य सरकारों को कर्मचारियों की संख्या बढ़ानी चाहिए। शंकरनारायण ने बीएलओ द्वारा काम के दबाव में आत्महत्या किए जाने का मुद्दा उठाते हुए कहा कि मामले के मानवीय पहलू पर विचार किया जाना चाहिए।
मृत बीएलओ के मुआवजे पर कोई आदेश नहीं
कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकारें अपनी जिम्मेदारी से नहीं भाग सकतीं अगर कोई दिक्कत है तो उन्हें केस दर केस उस पर विचार करना चाहिए। चुनाव आयोग द्वारा एफआइआर दर्ज करने की बात पर चीफ जस्टिस ने कहा कि यह कोई पहली बार नहीं हुआ है। पहले भी हुआ है।
चुनाव आयोग की ओर से पेश वरिष्ठ वकील राकेश द्विवेदी और मनिंदर सिंह ने कहा कि तमिलनाडु में 90 प्रतिशत गणना फार्म बांटे जा चुके हैं। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग उन्हीं के खिलाफ एफआइआर दर्ज करता है जो बीएलओ अपनी ड्यूटी निभाने में उदासीन हैं। उन्होंने कहा कि ऐसी दलीलें एक राजनीतिक अवधारणा बनाने के लिए दी जा रही हैं।

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