बांग्लादेश से आये हिंदू, जैन और बौद्ध धर्म के लोगों का क्या होगा? सुप्रीम कोर्ट का EC और केंद्र को नोटिस
सुप्रीम कोर्ट ने बांग्लादेश से आए हिंदू, जैन, बौद्ध अल्पसंख्यकों को एसआईआर में शामिल करने की मांग पर चुनाव आयोग, केंद्र और पश्चिम बंगाल सरकार को नोटिस भेजा है। एनजीओ 'आत्मदीप' ने याचिका में 2014 से पहले नागरिकता आवेदन करने वालों पर कार्रवाई न होने का आरोप लगाया है। कोर्ट ने डीम्ड सिटीजनशिप की अवधारणा पर जोर दिया और अगली सुनवाई 9 दिसंबर को तय की।

सुप्रीम कोर्ट का EC और केंद्र को नोटिस
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने बांग्लादेश से आए हिंदू, जैन, बौद्ध और अन्य अल्पसंख्यक समुदायों के लोगों को एसआईआर (स्पेशल इन्क्लूजन रजिस्टर) में शामिल करने की मांग वाली याचिका पर चुनाव आयोग, केंद्र सरकार और पश्चिम बंगाल की सरकार को नोटिस भेजा है।
क्या है मामला?
एनजीओ 'आत्मदीप' ने यह याचिका दाखिल की है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि उन्होंने 2014 से पहले नागरिकता के लिए आवेदन किया था, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। याचिका में कहा गया है कि चूंकि वे बांग्लादेश में धार्मिक उत्पीड़न का सामना कर चुके हैं, इसलिए उन्हें नागरिकता मिलनी चाहिए।
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी
सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश सूर्य कांत ने कहा, "हम सिर्फ़ इसलिए भेद नहीं कर सकते कि कोई जैन है या बौद्ध। डीम्ड सिटीज़नशिप की अवधारणा लागू करनी होगी। अधिकार तो है, पर हर मामला तथ्यों के हिसाब से परखा जाएगा।"
सीनियर एडवोकेट करुणा नंदी की दलील
सीनियर एडवोकेट करुणा नंदी ने दलील दी कि याचिकाकर्ता मुख्यतः हिंदू हैं, लेकिन बौद्ध और ईसाई भी शामिल हैं। उन्होंने कहा, "हम 2014 से पहले आए, इसलिए सीएए का संरक्षण नहीं मिलता।
हमें बासुदेव जजमेंट में जो दिया गया है, वही अंतरिम रूप से एसआईआर में लागू होना चाहिए।" सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका को अन्य समान मामलों के साथ 9 दिसंबर को सूचीबद्ध किया है।

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