MP-MLA कोर्ट में लंबित मामलों का जल्द होगा निपटारा! SC में सुनवाई के लिए याचिका दायर
सुप्रीम कोर्ट में दायर एक याचिका में कहा गया है कि एमपी/एमएलए की विशेष अदालतों (MP/MLA Court) में बढ़ते लंबित मामलों का अंबार लग गया है। याचिका में बताया गया है कि मामलों की सुनवाई में देरी की वजह से सासंद-विधायक अपने रसूख का इस्तेमाल कर केस पर प्रभाव डालते हैं। याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट ने शीघ्र निस्तारण के लिए दिशा-निर्देश का अनुरोध किया है।
नई दिल्ली, प्रेट्र: जनप्रतिनिधियों के खिलाफ आपराधिक मामलों के जल्द निपटारे के लिए बनाई गईं एमपी/एमएलए की विशेष अदालतों में बढ़ते लंबित मामलों का मुद्दा सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। सर्वोच्च अदालत से पूर्व और मौजूदा सांसदों-विधायकों के खिलाफ लंबित करीब पांच हजार आपराधिक मामलों के जल्द निपटारे के लिए दिशा-निर्देश दिए जाने की मांग की गई है।
सुप्रीम कोर्ट की ओर से एमिकस क्यूरी नियुक्त किए गए वरिष्ठ वकील विजय हंसारिया ने संसद और विधानसभाओं के पूर्व और वर्तमान सदस्यों के खिलाफ करीब पांच हजार मामले लंबित होने की जानकारी दी। इसके साथ ही इनके शीघ्र निस्तारण के लिए सुप्रीम कोर्ट से दिशा-निर्देश का अनुरोध किया गया है।
'देश के लोकतात्रिंक ढांचे पर पड़ रहा असर'
हंसारिया ने दलील दी कि सांसदों और विधायकों के खिलाफ मामलों की सुनवाई में देरी हो रही है, क्योंकि उनके पास जांच और कोर्ट पर प्रभाव डालने की शक्ति है। इसके कारण लंबित मामलों का निपटारा नहीं हो रहा है। इससे देश के लोकतांत्रिक ढांचे पर नकारात्मक असर पड़ रहा है।
हंसारिया ने कहा कि सांसदों और विधायकों के पास शक्ति से मामलों पर असर पड़ता है, जिससे सुनवाई में देरी हो रही है। हालांकि, जस्टिस दिपांकर दत्ता और मनमोहन की खंडपीठ अश्विनी उपाध्याय की 2016 में दायर एक जनहित याचिका पर भी सोमवार को सुनवाई करेगी। उपाध्याय ने दोषी करार दिए गए नेताओं पर आजीवन प्रतिबंध लगाए जाने की मांग की है।
पांच साल या उससे अधिक हो सकती है सजा
हंसारिया ने वकील स्नेहा कलीता के जरिये दायर याचिका में एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफार्म्स (एडीआर) की रिपोर्ट का हवाला देते हुए बताया कि सांसदों और विधायकों के खिलाफ एक जनवरी 2025 तक 4,732 आपराधिक मामले लंबित थे, जिनमें 892 मामले 2024 में दर्ज किए गए थे।
लोकसभा के मौजूदा 543 सदस्यों में से 251 पर आपराधिक मामले हैं। इनमें से 170 मामले गंभीर अपराधों से जुड़े हैं। इन जनप्रतिनिधियों की सजा पांच साल या उससे अधिक हो सकती है।
दो बार गैर-हाजिर रहने पर गैर-जमानती वारंट होगी जारी
उन्होंने कहा कि विशेष अदालतों में सांसदों और विधायकों के खिलाफ मामलों में सुनवाई अन्य सामान्य मामलों के साथ होती है, जिससे देरी होती है। उन्होंने शीर्ष अदालत से यह भी अपील की कि तीन साल से अधिक समय से मामले लंबित होने पर उनकी प्रतिदिन सुनवाई की जाए और दो बार सुनवाई में हाजिर नहीं होने वाले आरोपितों के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किए जाएं।
सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल नवंबर में सांसदों और विधायकों के खिलाफ आपराधिक मामलों की शीघ्र सुनवाई के लिए दिशा-निर्देश जारी किए थे। इसमें विशेष अदालतों को इन मामलों को प्राथमिकता देने के लिए कहा गया था।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।