'निकाय चुनाव में आरक्षण सीमा 50% से अधिक नहीं हो सकती', BMC चुनाव से पहले SC की अहम टिप्पणी
सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार को निर्देश दिया है कि आगामी स्थानीय निकाय चुनावों में आरक्षण 50% से अधिक न हो। कोर्ट ने चेतावनी दी है कि आरक्षण सीमा का उल्लंघन होने पर चुनाव पर रोक लगा दी जाएगी। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जोयमाल्या बागची की पीठ ने स्पष्ट किया कि चुनाव जेके बंथिया आयोग की रिपोर्ट से पहले की स्थिति के अनुसार ही कराए जाएंगे, जिसमें ओबीसी श्रेणियों में 27% आरक्षण की सिफारिश की गई थी। मामले की अगली सुनवाई 19 नवंबर को होगी।

महाराष्ट्र निकाय चुनाव: सुप्रीम कोर्ट का आरक्षण पर सख्त आदेश। (फाइल फोटो)
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को महाराष्ट्र सरकार से कहा कि अगले महीने होने वाले स्थानीय निकाय चुनावों में आरक्षण 50 प्रतिशत से अधिक न हो। कोर्ट ने चेताया कि अगर आरक्षण सीमा का उल्लंघन हुआ तो चुनाव पर रोक लगा दी जाएगी।
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जोयमाल्या बागची की पीठ ने कहा कि राज्य में स्थानीय निकाय चुनाव 2022 की जेके बंथिया आयोग की रिपोर्ट से पहले की स्थिति के अनुसार ही कराए जा सकते हैं, जिसमें ओबीसी श्रेणियों में 27 प्रतिशत आरक्षण की सिफारिश की गई थी।
19 नवंबर को होगी मामले की अगली सुनवाई
महाराष्ट्र की ओर से पेश सालिसिटर जनरल तुषार मेहता के अनुरोध पर पीठ ने मामले की सुनवाई 19 नवंबर के लिए निर्धारित कर दी। कहा, ''अगर दलील यह है कि नामांकन शुरू हो गया है और अदालत को अपना काम रोक देना चाहिए, तो हम चुनाव रोक देंगे। इस अदालत की शक्तियों का परीक्षण न करें। हमारा संविधान पीठ द्वारा निर्धारित 50 प्रतिशत आरक्षण सीमा को पार करने का कभी इरादा नहीं था। हम दो सदस्यीय पीठ में बैठकर ऐसा नहीं कर सकते। बंथिया आयोग की रिपोर्ट अभी भी विचाराधीन है, हमने पूर्व की स्थिति के अनुसार चुनाव कराने की अनुमति दी थी।''
इन याचिकाओं पर भी कोर्ट ने जारी किया नोटिस
शीर्ष अदालत ने उन याचिकाओं पर भी नोटिस जारी किया जिनमें आरोप लगाया गया था कि कुछ मामलों में राज्य के स्थानीय निकाय चुनावों में आरक्षण 70 प्रतिशत तक पहुंच गया है। मेहता ने कहा कि नामांकन दाखिल करने की अंतिम तिथि सोमवार है और उन्होंने शीर्ष अदालत के छह मई के आदेश का हवाला दिया, जिसने चुनाव कराने का मार्ग प्रशस्त किया था।

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