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    आवारा कुत्तों को खाने के अधिकार से संबंधित हाई कोर्ट के आदेश से रोक हटी

    By Sanjeev TiwariEdited By:
    Updated: Fri, 20 May 2022 09:51 AM (IST)

    सुप्रीम कोर्ट ने एक गैर-सरकारी संगठन (एनजीओ) ह्यूमैन फाउंडेशन फार पीपुल एंड एनिमल्स की याचिका पर चार मार्च को इस आदेश पर यह कहते हुए रोक लगा दी थी कि ...और पढ़ें

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    सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाई कोर्ट के 2021 के फैसले पर रोक लगाई (फाइल फोटो)

    नई दिल्ली, प्रेट्र। सुप्रीम कोर्ट अपना वह अंतरिम आदेश वापस ले लिया, जिसके तहत उसने आवारा कुत्तों को खिलाने के अधिकार के संबंध में दिल्ली हाई कोर्ट के 2021 के फैसले पर रोक लगाई थी। हाई कोर्ट ने 2021 में अपने आदेश में कहा था कि आवारा कुत्तों को भी भोजन का अधिकार है और नागरिकों को उन्हें (कुत्तों को) खिलाने का अधिकार।

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    शीर्ष अदालत ने एक गैर-सरकारी संगठन (एनजीओ) 'ह्यूमैन फाउंडेशन फार पीपुल एंड एनिमल्स' की याचिका पर चार मार्च को इस आदेश पर यह कहते हुए रोक लगा दी थी कि इससे आवारा कुत्तों से खतरों की आशंका बढ़ेगी। जस्टिस उदय उमेश ललित, जस्टिस एस. रवींद्र भट और जस्टिस सुधांशु धूलिया की पीठ ने इन दलीलों का संज्ञान लिया कि हाई कोर्ट का आदेश एक दीवानी मामले में सुनाया गया था, जिसमें दो निजी पक्षकार आमने-सामने थे और एनजीओ को इस मुकदमे में हस्तक्षेप करने का कोई अधिकार नहीं है।

    पीठ ने इस तथ्य का भी संज्ञान लिया कि असली मुकदमे के दोनों पक्षों के बीच विवाद का निस्तारण हो चुका है, इसलिए तीसरे पक्ष के इशारे पर मुकदमे को जारी रखने की जरूरत नहीं थी। इसलिए हम याचिका का निस्तारण करते हैं और अंतरिम आदेश वापस लेते हैं।

    जानें- क्या है मामला

    संबंधित मामलों में एक याचिकाकर्ता ने अदालत से कुत्ते के काटने के मामलों और शहर में आवारा कुत्तों की समस्या पर गौर करने का आग्रह किया। न्यायमूर्ति ललित ने अदालत में मौजूद वकीलों को अदालत के समक्ष महत्वपूर्ण मामलों की विशाल पेंडेंसी के मुद्दे पर संबोधित किया और कहा कि अदालत को किस तरह के मामलों को प्राथमिकता देनी है। विशेष रूप से ऐसे मामलों में उन्होंने देखा कि याचिकाकर्ताओं के पास हाईकोर्टों के समक्ष एक प्रभावी उपाय है और उन्हें पहले उनसे संपर्क करना चाहिए।