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    SC के जस्टिस सूर्यकांत ने मध्यस्थता में देरी पर जताई चिंता, त्वरित समाधान पर दिया जोर

    Updated: Sun, 21 Sep 2025 10:00 PM (IST)

    सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सूर्यकांत ने मध्यस्थता में देरी पर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि मध्यस्थता जो कभी मुकदमेबाजी का त्वरित विकल्प थी अब समयसीमा और स्थगनों का शिकार है। उन्होंने भारतीय मध्यस्थता परिषद के गठन में हो रही देरी पर भी ध्यान दिलाया जिसके जवाब में कानून मंत्री ने तेजी से प्रगति का आश्वासन दिया।

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    SC के जस्टिस सूर्यकांत ने मध्यस्थता में देरी पर जताई चिंता (फाइल फोटो)

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सूर्यकांत ने रविवार को मध्यस्थता में देरी के मुद्दे को उठाते हुए कहा कि जो एक समय में मुकदमेबाजी का त्वरित विकल्प माना जाता था, वह अब प्रोटेक्टेड समयसीमाओं और अत्यधिक स्थगनों का शिकार बन गया है।

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    उन्होंने कहा कि भारत को एक वैश्विक मध्यस्थता केंद्र के रूप में स्थापित करने की आकांक्षा के साथ यह अपेक्षित है कि मध्यस्थता के निर्णय न केवल न्यायिक जांच को सहन करें, बल्कि वे एक ऐसे तर्क और निष्पक्षता का मानक भी दर्शाएं जो वैश्विक स्तर पर सम्मानित हो।

    दिल्ली हाई कोर्ट और दिल्ली अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित तीसरे दिल्ली मध्यस्थता वीकेंड के समापन सत्र में मुख्य अतिथि के रूप में जस्टिस सूर्यकांत ने यह बात कही। उन्होंने कहा, ''मध्यस्थता की मूल अवधारणा त्वरित समाधान प्रदान करना था, लेकिन अब यह देरी का शिकार हो गई है। यदि गति मध्यस्थता की आत्मा है तो देरी इसे पूरी तरह से कमजोर कर सकती है।''

    उन्होंने कहा कि मध्यस्थता को मूल रूप से मुकदमेबाजी के त्वरित विकल्प के रूप में देखा गया था। उन्होंने कहा कि न्यायालयों को स्वतंत्रता और निष्पक्षता को सुनिश्चित करने के लिए अपनी भूमिका निभानी चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि भारतीय न्यायालयों ने मध्यस्थता कानून के प्रविधानों के अर्थ को समृद्ध किया है और यह सुनिश्चित किया है कि मध्यस्थता की प्रक्रिया में स्वतंत्रता और निष्पक्षता के सिद्धांतों का पालन किया जाए।

    मध्यस्थता परिषद के गठन में प्रगति हुई

    कानून मंत्री कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि मध्यस्थता परिषद के गठन में प्रगति हो रही है। सम्मेलन मेघवाल ने कहा कि कुछ लोगों ने इस बात पर ध्यान दिलाया है कि मध्यस्थता कानून पारित होने के वर्षों बाद भी भारतीय मध्यस्थता परिषद का गठन नहीं हुआ है।

    उन्होंने आश्वासन दिया-'हम इस दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहे हैं।' हाल ही में अटार्नी जनरल आर. वेंकटरमणी ने बताया कि मानव संसाधन की कमी के कारण परिषद के गठन में देरी हो रही है। उन्होंने कहा कि यह कमी कई कानूनों के क्रियान्वयन में बाधा उत्पन्न कर रही है।