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सुप्रीम कोर्ट बोला- वाल्मीकि रामायण और स्कंद पुराण पर आधारित है हिंदुओं की आस्था

अदालत ने गवाहों की यह बात भी सुनी कि राम जन्म की कथा स्कंद पुराण से भी आई है और यह पुस्तक आठवीं सदी की है।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Sun, 10 Nov 2019 02:45 AM (IST)Updated: Sun, 10 Nov 2019 10:11 AM (IST)
सुप्रीम कोर्ट बोला-  वाल्मीकि रामायण और स्कंद पुराण पर आधारित है हिंदुओं की आस्था
सुप्रीम कोर्ट बोला- वाल्मीकि रामायण और स्कंद पुराण पर आधारित है हिंदुओं की आस्था

नई दिल्ली, प्रेट्र। सुप्रीम कोर्ट ने फैसले में कहा कि हिंदुओं का यह विश्वोस कि अयोध्या ही भगवान राम की जन्मभूमि है, वह 'वाल्मीकि रामायण' और 'स्कंद पुराण' जैसी पवित्र पुस्तकों से आई है और उन्हें 'आधारहीन' नहीं मान सकते।

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प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने कहा कि धार्मिक पुस्तकों के 'श्लोकों' को गवाहों के रूप में पेश किया गया और हिंदू पक्षों ने इसे साक्ष्य के रूप में पेश किया। अपनी दलीलें इसी के आधार पर पेश कीं कि अयोध्या ही भगवान राम की जन्मभूमि है। यह श्लोक और धार्मिक पुस्तकें वर्ष 1528 के बहुत पहले से मौजूद हैं।

धार्मिक पुस्तकें हैं हिंदुत्व का मुख्य स्त्रोत

माना जाता है कि मस्जिद इसी दौरान बनी थी। पीठ ने अपने फैसले में कहा, 'धार्मिक पुस्तकें हिंदुत्व का मुख्य स्त्रोत हैं और इन्हीं के आधार पर हिंदू आस्था की नींव पड़ी। वाल्मीकि रामायण भगवान राम और उनके कायरें को जानने का मुख्य स्त्रोत है..।' पीठ ने कहा कि वाल्मीकि रामायण ईसा पूर्व से पहले की कृति है और भगवान राम और उनके कार्यों को जानने का मुख्य स्त्रोत है। शीर्ष अदालत ने कहा कि वाल्मीकि रामायण के श्लोक ग्रहों की स्थिति के अनुसार भगवान राम के अयोध्या में जन्म लेने की बात करते हैं।

वाल्मीकि रामायण का 10वां श्लोक कहता है कि कौशल्या ने एक पुत्र को जन्म दिया

वाल्मीकि रामायण का 10वां श्लोक कहता है कि कौशल्या ने एक पुत्र को जन्म दिया जो दुनिया का भगवान है और उनके आने से अयोध्या धन्य हो गई। एक श्लोक के अनुसार, 'उनमें दैवीय लक्षण हैं। यह आम व्यक्ति का जन्म नहीं है। अयोध्या पूरी दुनिया के भगवान के आगमन से धन्य हो गई। इतिहासकार कहते हैं कि अयोध्या कभी भी भगवान राम के जन्म के कारण पुण्यभूमि नहीं थी।

पांचवां श्लोक 'राम जन्मभूमि' शब्द से शुरू होता है

जिरह के दौरान एक गवाह ने कहा कि पांचवां श्लोक 'राम जन्मभूमि' शब्द से शुरू होता है, यहां शहर शब्द का अर्थ पूरे शहर से है किसी खास जगह से नहीं है। यही बात सातवें श्लोक और चौथे श्लोक में भी कही गई है जहां अवधपुरी शब्द आता है। शीर्ष अदालत ने कहा, 'यह कहना गलत होगा कि सभी तीन श्लोकों में पुरी शब्द का अर्थ जन्मभूमि से है।' लेकिन, भगवान राम के जन्म से जुड़ी पुस्तकों और पुराणों में उनके जन्मस्थान की बहुत विस्तृत जानकारी नहीं दी गई है। हर जगह यही कहा गया है कि अयोध्या में महाराज दशरथ के महल में कौशल्या ने राम को जन्म दिया। अदालत ने गवाहों की यह बात भी सुनी कि राम जन्म की कथा स्कंद पुराण से भी आई है और यह पुस्तक आठवीं सदी की है।

12वीं सदी र्के हिंदू धार्मिक मूल की थी मस्जिद के नीचे मिली संरचना

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अयोध्या में विवादित स्थल के नीचे भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) की खोदाई से संकेत मिलता है कि अंदर जो संरचना थी वह 12वीं सदी र्के हिंदू धार्मिक मूल की थी। पीठ ने कहा कि बहुस्तरीय खोदाई के दौरान एक गोलाकार संरचना सामने आई जिसमें ‘मकर प्रणाली’ थी, जिससे संकेत मिलता है कि आठवीं से दसवीं सदी के बीच हिंदू वहां पूजा-पाठ करते थे। 

85 खंभों से पुष्टि

पीठ ने कहा कि एएसआइ की खोदाई से यह भी पता चला कि विवादित मस्जिद पहले से मौजूद किसी संरचना पर बनी है। पीठ ने कहा, ‘मस्जिद का निर्माण कुछ इस तरह से हुआ कि पहले से मौजूद ढांचे की दीवारों का इस्तेमाल कर स्वंतत्र नींव बनाने से बचा गया।’ कोर्ट के अनुसार एएसआइ की अंतिम रिपोर्ट बताती है कि खोदाई के क्षेत्र से मिले साक्ष्य दर्शाते हैं कि वहां अलग-अलग स्तरों पर अलग-अलग सभ्यताएं रही हैं जो ईसा पूर्व दूसरी सदी से पहले ‘उत्तरी काले चमकीले मृदभांड’ तक जाती हैं। अदालत ने कहा, ‘एएसआइ की खोदाई ने पहले से मौजूद 12वीं सदी की संरचना की मौजूदगी की पुष्टि की है। संरचना विशाल है और उसके 17 लाइनों में बने 85 खंभों से इसकी पुष्टि भी होती है।’

चीफ जस्टिस की अगुआई में फैसले में शामिल जजों ने किया होटल में डिनर

देश के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई शनिवार की रात इस फैसले में शामिल संविधान पीठ के अन्य चार जजों के साथ दिल्ली स्थित ताज मानसिंह होटल में डिनर करने गए। मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई चाहते थे कि वह अपने सहयोगियों (नामित मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे, जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस डीवाइ चंद्रचूड़ और जस्टिस एसए नजीर) के साथ फुरसत के कुछ पल बिताएं। इसलिए मुख्य न्यायाधीश ने समूची संविधान पीठ के साथ एक शानदार डिनर की योजना बनाई।


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