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    सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस रोहिंटन फली नरीमन हुए रिटायर, निजता के अधिकार समेत कई महत्‍वपूर्ण फैसले दिए

    By Avinash RaiEdited By:
    Updated: Thu, 12 Aug 2021 08:54 PM (IST)

    उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश रोहिंटन फली नरीमन ने सात साल से अधिक समय के बाद गुरुवार को रिटायर हो गए। कार्यकाल के दौरान तीन तलाक समाप्त करने और सभी उम्र की महिलाओं को केरल के सबरीमाला मंदिर में प्रवेश की अनुमति देना जैसे फैसले लिए हैं।

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    उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश रोहिंटन फली नरीमन ने गुरुवार को एससी बेंच को कहा अलविदा

    नई दिल्ली, पीटीआइ। उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश रोहिंटन फली नरीमन ने सात साल से अधिक समय के बाद गुरुवार को रिटायर हो गए। उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान निजता को मौलिक अधिकार घोषित करने, तीन तलाक समाप्त करने, आईटी एक्ट की धारा 66ए को रद्द करना, सहमति समलैंगिक यौन संबंध को अपराध की श्रेणी से बाहर करना और सभी उम्र की महिलाओं को केरल के सबरीमाला मंदिर में प्रवेश की अनुमति देना जैसे फैसले लिए हैं।

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    जस्टिस रोहिंटन फली नरीमन ने अपनी स्कूल की पढ़ाई मुंबई में की थी। उसके बाद उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी के श्री राम कॉलेज ऑफ कॉमर्स से स्नातक किया। जिसके बाद उन्होंने दिल्ली और हार्वर्ड विश्वविद्यालय से एलएलबी और एलएलएम किया। पहले सुप्रीम कोर्ट के सीनियर एडवोकेट बनने की उम्र 45 साल की होती थी मगर रोहिंटन फली नरीमन के लिए यह सुप्रीम कोर्ट ने अपने नियमों में बदलाव किया। जिसके बाद वह 37 साल की उम्र में सुप्रीम कोर्ट के एक सीनियर वकील बन गए। 7 जुलाई 2014 उनको उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया और गुरुवार को सात साल के कार्यकाल का बाद वह रिटायर हो रहे है। न्यायमूर्ति रोहिंटन फली नरीमन की सेवानिवृत्ति के साथ, शीर्ष अदालत में न्यायाधीशों की संख्या सीजेआई सहित स्वीकृत 34 के मुकाबले घटकर 25 रह जाएगी।

    न्यायाधीश के रूप में उन्होंने लगभग 13,565 मामलों की सुनवाई की है, वह उन पीठों का हिस्सा थे, जिन्होंने 1,000 से अधिक निर्णय दिए। राजनीति के अपराधीकरण को रोकने के लिए एक अभूतपूर्व फैसले में, न्यायमूर्ति नरीमन ने 10 अगस्त को बिहार में सत्तारूढ़ भाजपा और जद (यू) सहित नौ राजनीतिक दलों को अवमानना का दोषी ठहराया और विधानसभा चुनाव के लिए अपने उम्मीदवारों के आपराधिक इतिहास के प्रकाशन पर फरवरी, 2020 के आदेश का उल्लंघन करने के लिए अवमानना का जुर्माना लगाया। साथ ही बाबरी विध्वंस मामले में लालकृष्ण आडवाणी और अन्य लोगों के खिलाफ लंबी सुनवाई न्यायमूर्ति नरीमन द्वारा फास्ट ट्रैक पर रखी गई थी।