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    25 लाख का जुर्माना नहीं भरने पर एनजीओ अध्यक्ष के खिलाफ उच्चतम न्यायालय ने जारी किया वारंट

    पीठ ने कहा राजीव दहिया के पेश होने के लिए 25 हजार रुपये के मुचलके और इतनी ही जमानती राशि पर वारंट जारी किया जाता है। वारंट की तामील स्थानीय पुलिस थाने द्वारा की जाएगी और कार्यवाही डिजिटल रूप से आयोजित की जाएगी।

    By Bhupendra SinghEdited By: Updated: Sat, 13 Feb 2021 08:58 PM (IST)
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    64 जनहित याचिकाएं दाखिल करने वाले एनजीओ अध्यक्ष के खिलाफ सख्त हुआ सुप्रीम कोर्ट।

    नई दिल्ली, प्रेट्र। उच्चतम न्यायालय ने पिछले कुछ वर्षों में बिना किसी सफलता के 64 जनहित याचिकाएं दाखिल करने के लिए लगाए गए 25 लाख रुपये का जुर्माना नहीं भरने पर एक गैर-सरकारी संगठन (एनजीओ) के अध्यक्ष राजीव दहिया के खिलाफ जमानती वारंट जारी किया है।

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    पीठ ने कहा- चिकाकर्ता ने अदालत के अधिकार क्षेत्र का किया दुरुपयोग

    न्यायमूर्ति एसके कौल और हृषिकेश रॉय की पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता ट्रस्ट और उसके अध्यक्ष राजीव दहिया ने अदालत के अधिकार क्षेत्र का दुरुपयोग किया है।

    64 जनहित याचिकाएं दाखिल करने वाले एनजीओ अध्यक्ष के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट सख्त

    शीर्ष अदालत ने पांच दिसंबर, 2017 को 64 जनहित याचिका दायर करने के लिए सुराज इंडिया ट्रस्ट के खिलाफ दिए गए अपने पहले के आदेश को संशोधित करने से इन्कार कर दिया। पीठ ने उच्चतम न्यायालय के एक मई के आदेश को संशोधित करने के लिए एनजीओ द्वारा दायर याचिका को खारिज कर दिया था। इस आदेश में ट्रस्ट पर देशभर में किसी भी अदालत के समक्ष कोई भी याचिका दायर करने को लेकर पाबंदी लगा दी गई थी।

    कोर्ट ने संपत्तियों की जानकारी देने के लिए निर्देश जारी किया था, जिसका अनुपालन नहीं किया गया

    चूंकि सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड वेलफेयर ट्रस्ट के समक्ष जुर्माना जमा नहीं किया गया था, इसलिए मामले को उच्चतम न्यायालय के समक्ष फिर से रखा गया और पिछले वर्ष 29 सितंबर को नोटिस जारी किया गया था। शीर्ष अदालत ने याचिकाकर्ता की चल और अचल संपत्तियों की जानकारी देने के लिए एनजीओ को निर्देश जारी किया था, जिसका अनुपालन नहीं किया गया।

    पीठ ने कहा- राजीव दहिया के पेश होने के लिए वारंट जारी किया जाता है

    पीठ ने कहा, राजीव दहिया के पेश होने के लिए 25 हजार रुपये के मुचलके और इतनी ही जमानती राशि पर वारंट जारी किया जाता है। वारंट की तामील स्थानीय पुलिस थाने द्वारा की जाएगी और कार्यवाही डिजिटल रूप से आयोजित की जाएगी। उच्चतम न्यायालय ने एक मई, 2017 को दंडात्मक कदम उठाया था और एनजीओ पर भारी जुर्माना लगाते हुए कहा था कि न्यायिक समय की बर्बादी गंभीर चिंता का विषय है।