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    Supreme Court: अगस्ता वेस्टलैंड घोटाले और सिख विरोधी दंगों पर बड़ी खबर; पढ़ें सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई में आज क्या-क्या हुआ?

    Updated: Fri, 06 Dec 2024 07:16 PM (IST)

    शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में कई अहम मामलों की सुनवाई हुई। इस दौरान अदालत ने अगस्ता वेस्टलैंड घोटाले के आरोप क्रिश्चियन मिशेल जेम्स की जमानत याचिका पर सीबीआई को नोटिस जारी करते हुए जवाब मांगा। वहीं सिख विरोधी दंगों में दोषी करार दिए गए बलवान खोखर ने याचिका दाखिल कर सजा के निलंबन की मांग की थी। इस पर भी अदालत में सुनवाई हुई।

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    शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में कई अहम मामलों की सुनवाई हुई (फोटो: एएनआई)

    पीटीआई, नई दिल्ली। लगभग 3,600 करोड़ रुपये के अगस्ता वेस्टलैंड वीवीआईपी हेलीकॉप्टर घोटाले में कथित बिचौलिये क्रिश्चियन मिशेल जेम्स की जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को सीबीआई से जवाब तलब किया है।

    जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस पीबी वराले की पीठ ने सीबीआई को नोटिस जारी किया और चार हफ्ते में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया। यह घोटाला अगस्ता वेस्टलैंड से 12 वीवीआईपी हेलीकॉप्टरों की खरीद से जुड़ा है।

    हाईकोर्ट ने किया था इंकार

    दिल्ली हाई कोर्ट ने 25 सितंबर को क्रिश्चियन को जमानत देने से इन्कार कर दिया था और उसने इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। ब्रिटिश नागरिक क्रिश्चियन को दिसंबर 2018 में दुबई से प्रत्यर्पित कर लाया गया था।

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    क्रिश्चियन मिशेल की याचिका पर सीबीआई को नोटिस

    (फोटो: सोशल मीडिया)

    वह इस मामले के तीन बिचौलियों में से एक है। दो अन्य के नाम गुइडो हश्के और कार्लो गेरोसा हैं। सीबीआई ने अपनी चार्जशीट में आरोप लगाया है कि 8 फरवरी 2010 को हस्ताक्षरित सौदे की वजह से राजकोष को 398.21 मिलियन यूरो (करीब 2,666 करोड़ रुपये) का नुकसान हुआ था। सौदे के तहत 556.26 मिलियन यूरो की लागत से 12 वीवीआईपी हेलीकॉप्टरों की आपूर्ति की जानी थी।

    सिख विरोधी दंगों भी हुई सुनवाई

    सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को सिख विरोधी दंगों के मामले में भी सुनवाई हुई। अदालत ने सीबीआई से 1984 के सिख विरोधी दंगों के मामले में सजा के निलंबन की मांग करने वाली बलवान खोखर की याचिका पर जवाब दाखिल करने को कहा है।

    जस्टिस जेके माहेश्वरी और जस्टिस राजेश बिंदल की पीठ ने खोखर की याचिका पर सुनवाई करते हुए ये आदेश दिया। अधिवक्ता राकेश दहिया के माध्यम से दायर अपनी याचिका में खोखर ने सुप्रीम कोर्ट को अवगत कराया कि आवेदक के फरलो के आवेदन पर शीघ्रता से विचार करने के शीर्ष अदालत के निर्देश के बावजूद जेल अधिकारियों ने आवेदन को 26 सितंबर 2024 को खारिज कर दिया।

    सिख विरोधी दंगों के दोषी की याचिका पर भी हुई सुनवाई

    (फोटो: पीटीआई/फाइल)

    याचिकाकर्ता खोखर ने यह भी कहा कि उसने जमानत की मांग करते हुए एक हस्तक्षेप याचिका भी दायर की था, हालांकि उस समय तक याचिकाकर्ता द्वारा भुगती गई सजा केवल आठ वर्ष और सात महीने थी, लेकिन इसे 3 फरवरी 2023 के आदेश के तहत खारिज कर दिया गया था।

    खोखर ने 17 दिसंबर 2018 के हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती दी है। खोखर के साथ सज्जन कुमार को इस मामले में दोषी ठहराया गया था और वह आजीवन कारावास की सजा काट रहा है।

    त्वरित सुनवाई को बताया मौलिक अधिकार

    वहीं एक अन्य मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि मुकदमे की त्वरित सुनवाई मौलिक अधिकार है और एक विचाराधीन कैदी को अनिश्चित समय तक जेल में नहीं रखा जा सकता।

    जस्टिस हृषिकेश राय और जस्टिस पंकज मित्तल की पीठ ने यह कहते हुए रोशन सिंह नामक व्यक्ति को जमानत दे दी कि मुकदमा जल्द खत्म नहीं होगा। आरोपी बिहार के एक मामले में लगभग 4 वर्ष से जेल में था।

    पटना हाईकोर्ट ने नहीं दी थी जमानत

    (फाइल फोटो)

    रोशन सिंह ने जून में सुनाए गए पटना हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती दी थी, जिसमें उसकी जमानत याचिका खारिज कर दी गई थी। रोशन सिंह के वकील ने पीठ को बताया कि याचिकाकर्ता अक्टूबर 2020 में हुई गिरफ्तारी के बाद से हिरासत में है और मामले की सुनवाई अभी भी पूरी नहीं हुई है।

    अदालत ने दे दी जमानत

    राज्य के वकील ने कहा कि अभी तीन और गवाहों की गवाही होनी है। पीठ ने कहा कि राज्य के वकील के अनुसार सुनवाई में देरी इसलिए हो रही रही है क्योंकि मामले के एक आरोपित ने बरी करने की याचिका दाखिल की है।

    अदालत ने कहा कहा, 'हिरासत की अवधि और इस तथ्य पर विचार करते हुए कि निकट भविष्य में सुनवाई पूरी नहीं हो सकती, हमें याचिकाकर्ता को जमानत देना उचित प्रतीत होता है।' पीठ ने कहा है कि जमानत की उचित शर्तें ट्रायल कोर्ट तय करेगा।

    सरकारी नौकरी में चयन के छह माह भीतर पूरी करें दस्तावेजी जांच

    वहीं अब पुलिस को सरकारी नौकरी में चुने गए उम्मीदवारों के दस्तावेजों की जांच और सत्यापन छह माह के भीतर करना जरूरी होगा, जिससे भविष्य में किसी तरह की समस्या ना आए। सुप्रीम कोर्ट में न्यायमूर्ति जेके माहेश्वरी और आर माधवन की पीठ ने शुक्रवार को यह आदेश जारी करते हुए कहा कि इस प्रक्रिया के संपन्न होने के बाद ही नियुक्ति या चयन को नियमित माना जाएगा।

    सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश बासुदेव दस्ता की याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया, जिसमें उन्होंने कलकत्ता हाई कोर्ट के पश्चिम बंगाल राज्य प्रशासनिक न्यायाधिकरण द्वारा दिए गए निर्देश को दरकिनार कर सुनाए गए आदेश को चुनौती दी थी। दत्ता की नौकरी 6 मार्च 1985 लगी थी और सेवानिवृत्ति से दो माह पूर्व 7 जुलाई 2010 को पुलिस ने विभाग को सत्यापन रिपोर्ट भेजकर सूचित किया कि वह भारत के नागरिक नहीं हैं।

    इस मामले पर हाई कोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट ने मनमाना, अवैध और प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन करने वाला बताते हुए बर्खास्तगी के फैसले को रद कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों की पुलिस को निर्देश दिए कि सरकारी नौकरी के लिए चुने गए उम्मीदवारों द्वारा पेश किए गए चरित्र, पूर्ववृत्त, राष्ट्रीयता, वास्तविकता संबंधित दस्तावेज की जांच और सत्यापन प्रक्रिया को नियुक्ति की तारीख से छह माह के भीतर पूरा किया जाए।

    हाशिमपुरा नरसंहार के आठ दोषियों को सुप्रीम कोर्ट से मिली जमानत

    सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को 1987 के कुख्यात हाशिमपुरा कांड के आठ दोषियों को जमानत दे दी। इस मामले में प्रांतीय सशस्त्र पुलिस बल के जवानों ने 38 लोगों की हत्या कर दी थी। जस्टिस अभय एस ओका और आगस्टीन जार्ज मसीह की पीठ ने चार दोषियों की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अमित आनंद तिवारी की दलीलों पर गौर किया कि दिल्ली हाई कोर्ट द्वारा निचली अदालत की ओर से उन्हें बरी किए जाने के फैसले को पलटने के बाद से वे लंबे समय तक कारावास में रहे हैं।