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    नगालैंड सरकार की याचिका पर केंद्र को नोटिस, उग्रवादियों के खिलाफ सैन्य अभियान में 13 नागरिकों की मौत से जुड़ा है मामला

    2021 में उग्रवादियों के खिलाफ एक सैन्य अभियान में 13 नागरिकों की मौत मामले में नगालैंड सरकार ने सर्वोच्च अदालत का दरवाजा खटखटाया है। 30 सैन्यकर्मियों पर नागरिकों की हत्या का आरोप है। प्रदेश सरकार की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और रक्षा मंत्रालय को नोटिस जारी किया है। केंद्र सरकार ने सैन्यकर्मियों के खिलाफ अभियोजन की अनुमति नहीं दी थी।

    By Jagran News Edited By: Ajay Kumar Updated: Tue, 16 Jul 2024 07:49 PM (IST)
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    केंद्र सरकार और रक्षा मंत्रालय को सुप्रीम कोर्ट ने जारी किया नोटिस।

    पीटीआई, नई दिल्ली। नगालैंड में नागरिकों की हत्या के आरोपित 30 सैन्यकर्मियों के विरुद्ध अभियोजन की अनुमति दिए जाने से इन्कार पर राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। ये सैन्यकर्मी 2021 में उग्रवादियों के विरुद्ध एक अभियान में 13 नागरिकों की हत्या के आरोपित हैं। राज्य सरकार की याचिका पर शीर्ष अदालत ने केंद्र सरकार और रक्षा मंत्रालय से जवाब मांगा है।

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    सरकार ने नहीं दी थी अभियोजन की अनुमति

    प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पार्डीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने प्रदेश सरकार की दलीलों पर गौर किया और केंद्र एवं रक्षा मंत्रालय को नोटिस जारी किया। पीठ ने नगालैंड की याचिका अब तीन सितंबर के लिए सूचीबद्ध की है। पिछले साल अप्रैल में केंद्र सरकार ने सेना के उन सैन्यकर्मियों के विरुद्ध अभियोजन की अनुमति देने से इन्कार कर दिया था जो राज्य में मोन जिले के ओटिंग में घात लगाकर किए गए हमले में कथित तौर पर शामिल थे।

    नगालैंड सरकार बोली- पुख्ता सुबूत हैं

    राज्य सरकार ने संविधान के अनुच्छेद-32 के तहत रिट याचिका दायर की है। मूल अधिकारों के कथित हनन पर इस अनुच्छेद के तहत शीर्ष अदालत में याचिका दायर की जाती है। नगालैंड सरकार ने घटना के सिलसिले में एक प्राथमिकी दर्ज की थी। राज्य सरकार ने दावा किया कि उसके पास एक मेजर सहित सैन्यकर्मियों के विरुद्ध पुख्ता सुबूत हैं और इसके बावजूद केंद्र मनमाने तरीके से इनके अभियोजन की अनुमति देने से इन्कार कर रहा है।

    शीर्ष अदालत ने जुलाई 2022 में आरोपितों की पत्नियों की याचिकाओं पर एक विशेष बल के सैन्यकर्मियों के अभियोजन पर रोक लगा दी थी। इन महिलाओं ने दावा किया था कि अभियोजन के लिए अनिवार्य अनुमति लिए बिना उनके पतियों को अभियोजित किया जा रहा है।

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