Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    चेक बाउंस के मुकदमों के जल्द निपटारे के लिए सुप्रीम कोर्ट ने जारी किए दिशा-निर्देश

    सुप्रीम कोर्ट स्वत संज्ञान लेकर इस मामले की सुनवाई कर रहा है। कोर्ट ने चेक बाउंस के मुकदमों के त्वरित निपटारे के मुद्दे पर विस्तृत सुनवाई करने और न्यायमित्र अन्य पक्षकारों सरकार व आरबीआइ के सुझाव देखने के बाद ये दिशानिर्देश जारी किए।

    By Neel RajputEdited By: Updated: Fri, 16 Apr 2021 09:03 PM (IST)
    Hero Image
    सभी हाई कोर्टो से इस बारे में मजिस्ट्रेटों को जरूरी प्रक्रिया निर्देश जारी करने को कहा

    नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। सुप्रीम कोर्ट ने चेक बाउंस के मुकदमों के त्वरित निपटारे के लिए दिशा-निर्देश जारी किए हैं। साथ ही कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा है कि एक ही व्यक्ति के खिलाफ चेक बाउंस के 12 महीनों के भीतर दर्ज किए गए विभिन्न मुकदमों को एक साथ संलग्न किए जाने के बारे में कानूनी प्रविधानों में उचित संशोधन किया जाए। यह आदेश शुक्रवार को प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने दिए हैं।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    देश की अदालतों में 31 दिसंबर, 2019 तक कुल 2.31 करोड़ मुकदमे लंबित थे जिनमें से 35.16 लाख मुकदमे नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट एक्ट की धारा-138 के तहत चेक बाउंस के हैं। कोर्ट स्वत: संज्ञान लेकर इस मामले की सुनवाई कर रहा है। कोर्ट ने चेक बाउंस के मुकदमों के त्वरित निपटारे के मुद्दे पर विस्तृत सुनवाई करने और न्यायमित्र, अन्य पक्षकारों, सरकार व आरबीआइ के सुझाव देखने के बाद ये दिशानिर्देश जारी किए।

    सुप्रीम कोर्ट ने देशभर के हाई कोर्टों से अनुरोध किया है कि वे मजिस्ट्रेटों के लिए प्रक्रिया निर्देश जारी करें कि अगर वे धारा-138 के तहत आए चेक बाउंस के मुकदमे की शिकायत समरी ट्रायल से समन ट्रायल में तब्दील करते हैं तो उन्हें आदेश में इसका कारण दर्ज करना होगा। जब अभियुक्त संबंधित मजिस्ट्रेट के क्षेत्राधिकार से बाहर रहता हो तो मजिस्ट्रेट चेक बाउंस की शिकायत मिलने पर जांच करेगा और यह दर्ज करेगा कि अभियुक्त के खिलाफ कार्यवाही का पर्याप्त आधार है।

    सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट एक्ट की धारा-202 के तहत शिकायतकर्ता की ओर से हलफनामे पर गवाही देने की इजाजत है, उचित मामलों में मजिस्ट्रेट गवाहों के परीक्षण पर जोर दिए बगैर दस्तावेजों के परीक्षण के आधार पर जांच कर सकता है।

    पीठ ने हाई कोर्टों से कहा है कि वे मजिस्ट्रेटों को निर्देश जारी करें कि एक ही लेनदेन से जुड़े विभिन्न मामलों में एक केस में समन की सर्विस होने को सभी मामलों में समन की सर्विस होना माना जाए। कोर्ट ने कहा, यह सही है कि ट्रायल कोर्ट को समन जारी करने के अपने आदेश पर पुनर्विचार या वापस लेने का अधिकार नहीं है, लेकिन इससे ट्रायल कोर्ट का धारा-322 के तहत क्षेत्राधिकार न होने के मामले में जारी की गई प्रक्रिया को रीविजिट करने का अधिकार प्रभावित नहीं होता।

    सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि चेक बाउंस के मामले में समन के आदेश को वापस लेने और बदलने के पहलू पर कानून में संशोधन को लेकर कोर्ट द्वारा गठित कमेटी विचार करेगी। अन्य मुद्दों पर भी कमेटी के विचार करने की बात करते हुए कोर्ट ने मामले को आठ सप्ताह बाद तीन न्यायाधीशों की पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए लगाने का आदेश दिया। मालूम हो कि सुप्रीम कोर्ट ने चेक बाउंस के मुकदमों के त्वरित निपटारे पर विचार के लिए बांबे हाई कोर्ट के सेवानिवृत न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक कमेटी गठित की थी।