Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Supreme Court: यह दलील सुनते ही 14 वर्षीय गभर्वती नाबालिग को SC ने दे दी गर्भपात की अनुमति, HC ने लगा दी थी रोक

    नाबालिग को बहुत बाद में अपनी गर्भावस्था के बारे में पता चला। कोर्ट ने कहा कि नाबालिग का कल्याण और उसकी सुरक्षा सर्वोपरि है और उसे देखते हुए ही यह आदेश दिया जाता है। आदेश का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए कोर्ट ने सायन अस्पताल के डीन को तत्काल आदेश की जानकारी देने का निर्देश दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट का इनकार करने का आदेश रद कर दिया।

    By Jagran News Edited By: Narender Sanwariya Updated: Mon, 22 Apr 2024 08:18 PM (IST)
    Hero Image
    सुप्रीम कोर्ट ने14 वर्षीय गभर्वती नाबालिग को गर्भपात की अनुमति दे दी है। (File Photo)

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने दुष्कर्म पीडि़ता 14 वर्षीय गर्भवती नाबालिग को 28 सप्ताह का गर्भ नष्ट कराने की इजाजत दे दी है। कोर्ट ने संविधान के अनुच्छेद 142 में नाबालिग के चिकित्सीय गर्भपात की अनुमति दी है। यह अनुच्छेद किसी भी मामले में पूर्ण न्याय करने के लिए सुप्रीम कोर्ट को आदेश पारित करने का अधिकार देता है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    डॉक्टरों की टीम गठित करने का आदेश

    कोर्ट ने गर्भावस्था जारी रहने से नाबालिग के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक असर पड़ने की मेडिकल बोर्ड की राय को देखते हुए कोर्ट ने गर्भपात की अनुमति दी है। कोर्ट ने गर्भपात के लिए मुंबई के सायन अस्पताल को तत्काल डॉक्टरों की टीम गठित करने का आदेश दिया है साथ ही महाराष्ट्र सरकार से नाबालिग को अस्पताल तक ले जाने और वापस लाने का सारा इंतजाम करने को कहा है। ये आदेश प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और जेबी पार्डीवाला की पीठ ने गभर्वती नाबालिग दुष्कर्म पीड़िता की मां की याचिका पर सुनवाई के बाद दिये।

    बॉम्बे हाई कोर्ट का गर्भपात की देने से इनकार

    बॉम्बे हाई कोर्ट ने जेजे अस्पताल के मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट देखने के बाद गर्भपात की इजाजत देने से इनकार कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने गत 19 अप्रैल को नाबालिग की दोबारा जांच के आदेश दिए थे। जिसमें मुंबई के सायन अस्पताल से गर्भवती नाबालिग की संभावित शारीरिक और मनोवैज्ञानिक स्थिति की रिपोर्ट मांगी थी। कोर्ट ने कहा था कि पहले वाले मेडिकल बोर्ड ने इस पहलू का आंकलन नहीं किया है।

    सुप्रीम कोर्ट ने नाबालिग को दी गर्भपात की इजाजत

    सायन अस्पताल के डाक्टरों के पैनल ने दोबारा जांच करके सुप्रीम कोर्ट को दी रिपोर्ट में कहा था कि नाबालिग की इच्छा के खिलाफ गर्भावस्था जारी रहने का उसके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक असर पड़ेगा। यह भी कहा था कि इस स्थिति में गर्भपात किया जा सकता है और अभी गर्भपात करने की तुलना में नाबालिग के जीवन को गर्भावस्था जारी रखने और गर्भ की अवधि पूरी होने के बाद प्रसव में ज्यादा खतरा है।

    सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में क्या कहा?

    सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को सायन अस्पताल के मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट देखने के बाद मामले में कारण सहित आदेश देने के लिए अपना फैसला सुरक्षित कर लिया लेकिन मौजूदा परिस्थितियों को देखते हुए गर्भपात कराने का तत्काल अंतरिम आदेश दिया है। कोर्ट ने अपने आदेश में दर्ज किया है कि नाबालिग मात्र 14 वर्ष की है और गर्भ उसके साथ हुए दुष्कर्म का परिणाम है जिसके लिए आईपीसी की धारा 376 और पोक्सो कानून में एफआईआर भी दर्ज है।

    सुप्रीम कोर्ट में हाई कोर्ट का आदेश रद

    नाबालिग को बहुत बाद में अपनी गर्भावस्था के बारे में पता चला। कोर्ट ने कहा कि नाबालिग का कल्याण और उसकी सुरक्षा सर्वोपरि है और उसे देखते हुए ही यह आदेश दिया जाता है। आदेश का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए कोर्ट ने सायन अस्पताल के डीन को तत्काल आदेश की जानकारी देने का निर्देश दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट का इनकार करने का आदेश रद कर दिया है।

    यह भी पढ़ें: Supreme Court: 28 सप्ताह की गर्भावस्था को समाप्त करने की मांग, सुप्रीम कोर्ट नाबालिग की याचिका पर सोमवार को करेगा सुनवाई