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    Waqf Act: 'आप अतीत को दोबारा नहीं लिख सकते', सुप्रीम कोर्ट में वक्फ कानून पर बहस के दौरान बोले चीफ जस्टिस

    देश की शीर्ष अदालत ने वक्फ कानून के खिलाफ दायर 70 से अधिक याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार के वकील सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि आप इतिहास को दोबारा नहीं लिख सकते हैं। अदालत ने पूछा कि क्या वक्फ बोर्ड में 2 नॉन मुस्लिमों की नियुक्ति की तरह ही हिंदू प्रबंधन बोर्ड में भी मुस्लिमों की नियुक्ति की जा सकती है।

    By Digital Desk Edited By: Swaraj Srivastava Updated: Wed, 16 Apr 2025 06:09 PM (IST)
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    सुप्रीम कोर्ट में कानून के खिलाफ 70 से अधिक याचिकाएं दाखिल की गई हैं (फोटो: जागरण)

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। संसदों के दोनों सदनों से पारित होने और राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद अस्तित्व में आए वक्फ कानून पर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में कानून के विरोध में जारी प्रदर्शन ने हिंसक रूप ले लिया। उधर सुप्रीम कोर्ट में कानून के खिलाफ 70 से अधिक याचिकाएं दाखिल की गई हैं।

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    आज सुनवाई के दौरान अदालत में करीब 2 घंटे तक बहस चली। CJI संजीव खन्ना और जस्टिस पीवी संजय कुमार, जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच ने मामले की सुनवाई के दौरान केंद्र से कई मुद्दों पर स्पष्टीकरण मांगा।

    आइए आपको बताते हैं अदालत में सुनवाई की 5 बड़ी बातें:

    • चीफ जस्टिस संजीव खन्ना ने वकील अभिषेक मनु सिंघवी से कहा कि हमें बताया गया है कि दिल्ली हाई कोर्ट भी वक्फ की जमीन पर बना है। हम ये नहीं कह रहे हैं कि सभी वक्फ बाय यूजर गलत है, लेकिन ये वास्तविक चिंता है।
    • जस्टिस खन्ना ने कहा कि किसी पब्लिक ट्र्स्ट को 100 या 200 साल पहले वक्फ घोषित किया गया और आप अचानक कहते हैं कि इसे वक्फ बोर्ड द्वारा अपने अधीन कर लिया गया है। आप अतीत को दोबारा नहीं लिख सकते हैं।
    • पीठ ने कहा कि एक्ट के अनुसार 8 मेंबर मुस्लिम और 2 नॉन मुस्लिम हो सकते हैं। क्या आप यह कह रहे हैं कि अब से आप मुसलमानों को हिंदू बंदोबस्ती बोर्ड का हिस्सा बनने की अनुमति देंगे।
    • नॉन मुस्लिमों को बोर्ड का हिस्सा बनाने की टिप्पणी पर सॉलिसिट जनरल तुषार मेहता ने जवाब देते हुए कहा कि फिर तो यह पीठ भी याचिका नहीं सुन सकती। इस पर सीजेआई ने कहा कि जब हम यहां बैठते हैं, तो धर्म नहीं देखते। आप इसकी तुलना जजों से कैसे कर सकते हैं?
    • तुषार मेहता ने दलील देते हुए कहा कि यह कानून बनाने का मामला है। इसके लिए जेपीसी बनी थी। इसकी 38 बैठकें हुईं। इसने कई क्षेत्रों का दौरा किया। 98 लाख से अधिक ज्ञापनों की जांच की। फिर यह दोनों सदनों में गया और फिर बिल पारित किया गया।

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