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    अशोक यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर को सुप्रीम कोर्ट से राहत, ऑपरेशन सिंदूर पर किया था विवादित पोस्ट

    Updated: Tue, 26 Aug 2025 04:00 AM (IST)

    सुप्रीम कोर्ट ने अशोक यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद के खिलाफ निचली अदालत की कार्यवाही पर रोक लगा दी है। हरियाणा पुलिस ने ऑपरेशन सिंदूर से संबंधित विवादित सोशल मीडिया पोस्ट के लिए मामला दर्ज किया था। जस्टिस सूर्यकांत की पीठ ने मजिस्ट्रेट को भारतीय न्याय संहिता की धारा 152 के तहत आरोपपत्र पर संज्ञान लेने से रोक दिया।

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    महमूदाबाद के खिलाफ दर्ज एक प्राथमिकी में क्लोजर रिपोर्ट दाखिल की जा चुकी है (फाइल फोटो)

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को अशोक यूनिवर्सिटी के राजनीति विज्ञान के प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद के खिलाफ निचली अदालत की कार्यवाही पर रोक लगा दी। उन पर 'आपरेशन सिंदूर' से संबंधित विवादास्पद इंटरनेट मीडिया पोस्ट के लिए हरियाणा पुलिस ने मामला दर्ज किया था।

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    जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जोयमाल्या बागची की पीठ ने एक अंतरिम आदेश पारित कर मजिस्ट्रेट को राष्ट्र की सम्प्रभुता के विरुद्ध अपराध से संबंधित भारतीय न्याय संहिता की धारा 152 के तहत हरियाणा पुलिस द्वारा दायर आरोपपत्र पर संज्ञान लेने से रोक दिया। जस्टिस सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली पीठ ने यह भी कहा कि महमूदाबाद के खिलाफ दर्ज एक प्राथमिकी में क्लोजर रिपोर्ट दाखिल की जा चुकी है और तदनुसार उन कार्यवाहियों को रद कर दिया।

    मजिस्ट्रेट को संज्ञान लेने से रोका

    पीठ ने यह अंतरिम आदेश हरियाणा पुलिस द्वारा महमूदाबाद के खिलाफ एक प्राथमिकी में क्लोजर रिपोर्ट दाखिल करने और दूसरी प्राथमिकी में आरोपपत्र दाखिल करने की सूचना मिलने के बाद दिया। पीठ ने उस प्राथमिकी को रद कर दिया जिसमें क्लोजर रिपोर्ट दाखिल की गई थी, और दूसरी प्राथमिकी के संबंध में मजिस्ट्रेट को उसका संज्ञान लेने से रोक दिया।

    महमूदाबाद की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने एक प्राथमिकी में दाखिल आरोपपत्र पर आपत्ति जताई। इससे पहले की सुनवाई में जब सुप्रीम कोर्ट को यह बताया गया था कि हरियाणा विशेष जांच दल (एसआईटी) ने महमूदाबाद के इलेक्ट्रॉनिक उपकरण जब्त कर लिए हैं और उनके पिछले दस वर्षों का यात्रा विवरण मांगा है तो कोर्ट ने एसआईटी को अपनी जांच का दायरा अनावश्यक रूप से बढ़ाने के लिए फटकार लगाई थी।

    कोर्ट ने यह भी आदेश दिया था कि महमूदाबाद को दोबारा तलब न किया जाए क्योंकि वह पहले ही जांच में शामिल हो चुके हैं और अपने इलेक्ट्रनिक उपकरण जमा कर चुके हैं। जस्टिस सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली पीठ ने उच्च स्तरीय जांच समिति को चार सप्ताह के भीतर अपनी जांच पूरी करने का निर्देश दिया था और कहा था कि एसआईटी को अपनी जांच पहलगाम आतंकी हमले और सीमा पार सैन्य कार्रवाई को लेकर इंटरनेट मीडिया पोस्ट की भाषा और विषय-वस्तु तक ही सीमित रखनी चाहिए।

    (न्यूज एजेंसी आईएएनएस के इनपुट के साथ)

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