Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    आरोपी हुआ रिहा तो अब पीड़ित और उसके वारिस भी कर सकेंगे अपील, सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया बड़ा फैसला

    सुप्रीम कोर्ट ने अपराध पीड़ितों और उनके कानूनी वारिसों को अभियुक्तों के बरी होने के खिलाफ अपील करने का अधिकार दिया है। जस्टिस नागरत्ना और विश्वनाथन की बेंच ने कहा कि पीड़ितों का हक अभियुक्त के समान है। अब पीड़ित कम सजा मुआवजा या बरी होने के खिलाफ अपील कर सकते हैं। यदि पीड़ित की मृत्यु हो जाती है तो उनके वारिस अपील को आगे बढ़ा सकते हैं।

    By Digital Desk Edited By: Chandan Kumar Updated: Mon, 25 Aug 2025 09:32 AM (IST)
    Hero Image
    यह फैसला जस्टिस बी.वी. नागरथना और जस्टिस के.वी. विश्वनाथन की बेंच ने सुनाया है।

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने अपराध के पीड़ितों और उनके कानूनी वारिसों को बड़ा हक दिया है। अब पीड़ित और उनके वारिस निचली अदालत या हाई कोर्ट द्वारा अभियुक्त को बरी किए जाने के खिलाफ अपील कर सकेंगे। यह फैसला जस्टिस बी.वी. नागरथना और जस्टिस के.वी. विश्वनाथन की बेंच ने सुनाया है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    अब तक, अगर ट्रायल कोर्ट या हाई कोर्ट किसी अभियुक्त को बरी कर देता था, तो केवल राज्य सरकार या शिकायतकर्ता ही अपील कर सकते थे। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने अब इस दायरे को बढ़ाते हुए दो और पक्षों को यह हक दिया है। यानी अब अपराध में चोटिल हुए या नुकसान झेलने वाले लोग और अपराध के पीड़ितों के कानूनी वारिस भी अपील कर सकेंगे।

    पीड़ितों को मिला हक

    लाइव एंड लॉ के अनुसार, जस्टिस नागरथना ने 58 पन्नों के ऐतिहासिक फैसले में लिखा, "अपराध के पीड़ित का हक उसी तरह होना चाहिए, जैसे सजा पाए अभियुक्त का होता है, जो CrPC की धारा 374 के तहत अपील कर सकता है।"

    उन्होंने कहा, "हम मानते हैं कि पीड़ित को भी कम सजा, मुआवजा या अभियुक्त के बरी होने के खिलाफ अपील करने का पूरा हक है, जैसा कि CrPC की धारा 372 के प्रोविजन में कहा गया है।"

    कोर्ट ने पुराने फैसलों और लॉ कमीशन की सिफारिशों का हवाला देते हुए कहा कि पीड़ितों का अपील करने का हक किसी भी तरह से सीमित नहीं किया जा सकता।

    बेंच ने "अपराध के पीड़ित" की परिभाषा को भी विस्तार दिया और कहा कि अगर अपील करने वाला पीड़ित अपील के दौरान मर जाता है, तो उसके कानूनी वारिस उस अपील को आगे बढ़ा सकते हैं।

    कानूनी वारिसों को भी अपील करने का पूरा हक

    जस्टिस नागरथना और विश्वनाथन ने कहा कि अगर अपराध के पीड़ित को अभियुक्त के बरी होने या कम सजा के खिलाफ अपील का हक है, तो उनके कानूनी वारिसों को भी वही हक मिलेगा।

    अगर अपील दायर करने के बाद पीड़ित की मृत्यु हो जाती है, तो वारिस उस अपील को आगे बढ़ा सकते हैं। कोर्ट ने कहा, "जिस तरह सजा पाने वाला व्यक्ति बिना किसी शर्त के CrPC की धारा 374 के तहत अपील कर सकता है, उसी तरह अपराध का पीड़ित, चाहे अपराध कैसा भी हो, उसे भी CrPC के तहत अपील करने का हक होना चाहिए।"

    यह भी पढ़ें: Nikki Murder Case: 'तीन दिन में रिपोर्ट दें...', निक्की हत्याकांड पर एक्शन मोड में NCW; यूपी डीजीपी को लिखी चिट्ठी