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    'परिवार की सहमति से की थी हिंदू महिला से शादी', सुप्रीम कोर्ट ने 6 महीने से जेल में बंद मुस्लिम युवक को दी जमानत

    Updated: Wed, 11 Jun 2025 10:57 AM (IST)

    सुप्रीम कोर्ट ने हिंदू लड़की से पहचान छिपाकर शादी करने वाले मुस्लिम युवक को जमानत दे दी है। कोर्ट ने कहा कि अलग-अलग धर्मों के होने के कारण दो लोगों को साथ रहने से मना नहीं किया जा सकता। उत्तराखंड हाई कोर्ट ने पहले युवक की जमानत याचिका खारिज कर दी थी जिसके बाद उसने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया।

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    सुप्रीम कोर्ट ने मुस्लिम युवक को दी जमानत

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। कोर्ट ने हिंदू लड़की से पहचान छिपाकर शादी करने वाले आरोपी मुस्लिम युवक को जमानत दे दी है। इस दौरान कोर्ट ने कई अहम टिप्पणी की है। कोर्ट ने कहा कि दो लोगों को साथ में रहने पर बस इसलिए नहीं मना किया जा सकता कि क्योंकि वे अलग-अलग धर्मों के हैं।

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    कोर्ट ने हिंदू महिला से शादी करने के 6 महीने बाद मुस्लिम युवक की बेल को मंजूरी दे दी है। युवक 6 महीने से जेल में बंद था।

    कोर्ट ने सुनाया फैसला

    जस्टिस बी.वी.नागरत्ना और सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने आरोपी के जरिये दायर अपील पर यह महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। बता दें कि शख्स ने उत्तराखंड की लड़की से शादी की थी। जिसके बाद फरवरी 2025 में उत्तराखंड हाई कोर्ट ने इस शख्स को जमानत देने से मना कर दिया था। फिर युवक ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया।

    मुस्लिम युवक को क्यों किया था गिरफ्तार?

    मुस्लिम युवक को उत्तराखंड धर्म स्वतंत्रता अधिनियम 2018 और भारतीय न्याय संहिता, 2023 के प्रावधानों के तहत अपनी धार्मिक पहचान छिपाने और हिंदू महिला से धोखाधड़ी कर शादी करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। अब मुस्लिम युवक पर की गया एक्शन और पेश की घटना की थ्योरी पर तरह-तरह के सवाल खड़े होने लगे हैं।

    अब इस मामले पर कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया है, कोर्ट ने अपने आदेश में कहा, राज्य को मुस्लिम युवक और उसकी पत्नी के साथ रहने पर किसी तरह को कोई एतराज नहीं होना चाहिए, खासकर तब जब उनकी शादी उनके माता-पिता और परिवार वालों की मर्जी के हिसाब से हुई हो।

    दोनों परिवारों ने शादी के लिए दी थी अनुमति

    कोर्ट ने आगे अपना फैसला सुनाते हुए यह भी बताया कि यह शादी दोनों परिवारों की सहमति और मौजूदगी में हुई थी। याचिकाकर्ता के वकील ने अदालत में ये भी बताया कि शादी के अगले ही दिन मुस्लिम युवक) ने एक हलफनामा दायर कर दिया था। इसमें उसने साफ तौर पर स्पष्ट किया था कि उसकी पत्नी अपने धर्म का पालन करने के लिए पूरी तरह से स्वतंत्र होगी और वह उसे मजहब बदलने के लिए भी नहीं बोलेगा ।

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