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    सुप्रीम कोर्ट ने आयोगों में खाली पड़े पदों को लेकर जताई गहरी नाराजगी, कही यह बात

    By Arun Kumar SinghEdited By:
    Updated: Thu, 12 Aug 2021 07:32 AM (IST)

    सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय और राज्य उपभोक्ता आयोगों में खाली पड़े पदों को न भरे जाने पर बुधवार को गहरी नाराजगी जताते हुए पूरे देश में उपभोक्ता आयोगों ...और पढ़ें

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    सुप्रीम कोर्ट ने आयोगों में खाली पड़े पदों को लेकर जताई गहरी नाराजगी

     नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय और राज्य उपभोक्ता आयोगों में खाली पड़े पदों को न भरे जाने पर बुधवार को गहरी नाराजगी जताते हुए पूरे देश में उपभोक्ता आयोगों के खाली सभी पद आठ सप्ताह में भरने का आदेश दिया है। कोर्ट ने कहा कि अगर तय समय में आदेश का पालन नहीं हुआ तो संबंधित राज्यों के मुख्य सचिव को वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये होने वाली अगली सुनवाई में मौजूद रहना होगा। इसी तरह केंद्र सरकार के मामले में उपभोक्ता मामलों के सचिव मौजूद रहेंगे।

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    कोर्ट ने कहा कि अगर आदेश के मुताबिक रिक्त पद नहीं भरे गए तो मुख्य सचिवों को तलब करेंगे

    पदों के रिक्त रहने के कारण उपभोक्ताओं की शिकायतों का निपटारा न होने की ओर संकेत करते हुए कोर्ट ने कहा कि लोगों में उम्मीद मत जगाओ, अगर उसे पूरा नहीं कर सकते। अगर आप पद भर नहीं सकते तो उन्हें बनाते क्यों हैं। पद खाली रहने से उपभोक्ताओं की शिकायतों का निपटारा नहीं हो रहा है। ये निर्देश और टिप्पणियां जस्टिस संजय किशन कौल और ऋषिकेश राय की पीठ ने दिये।

    सुनवाई के दौरान न्यायमित्र वकील आदित्य नारायण ने कोर्ट को बताया कि राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग में कुल सात पद हैं, जिसमें से अभी तीन पद खाली हैं। कोर्ट ने केंद्र की ओर से पेश एडीशनल सालिटिर जनरल (एएसजी) अमन लेखी से पूछा कि जब चार पद भरे जा सकते हैं तो बाकी के तीन क्यों नहीं भरे जा रहे। लेखी ने ट्रिब्युनल रिफार्म एक्ट 2021 का हवाला दिया जिसमे चेयरमैन और सदस्यों के कार्यकाल की बात की गई है। कोर्ट ने कहा कि इसका नियुक्तियों से कोई लेना देना नहीं है।

    लेखी ने कहा कि वे सरकार से कहेंगे कि जल्दी पद भरें जाएं। इस पर पीठ ने कहा कि अगर आप लोगों की अपेक्षाएं पूरी नहीं कर सकते तो उनकी उम्मीदें मत जगाइये। उपभोक्ताओं की शिकायतों का निपटारा नहीं हो रहा है। मामलों का निपटारा करने के लिए पर्याप्त संख्या में लोग चाहिए। कोर्ट ने कहा कि केंद्र सरकार भी राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग में रिक्त पदों को राज्यों की तरह आठ सप्ताह में ही भरें।

    कोर्ट ने केंद्र से कहा कि वह उपभोक्ता संरक्षण कानून 2019 के प्रभाव, जिसमें उपभोक्ता अदालतों का क्षेत्राधिकार बढ़ाया गया है, का अध्ययन करके चार सप्ताह में रिपोर्ट दाखिल करे। पीठ ने कहा कि जब लेजिस्लेटिव कमेटी ने बदलाव किये तो उस कानून का क्या प्रभाव होगा इसका अध्ययन होना चाहिए। यह विडंबना सभी कानूनों के साथ है कि आप कभी कानून के प्रभाव का अध्ययन नहीं करते।

    न्यायमित्र वरिष्ठ वकील गोपाल शंकर नारायण ने कोर्ट को राज्य उपभोक्ता आयोगों और अदालतों में खाली पड़े पदों का ब्योरा दिया। जिसके बाद कोर्ट ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में राज्य उपभोक्ता आयोगों के रिक्त पदों को अधिकतम आठ सप्ताह के भीतर भरने का आदेश दिया। साथ ही राज्यों से कहा रिक्त पदों पर भर्ती के लिए वे दो सप्ताह में विज्ञापन निकालें। कोर्ट ने आदेश दिया कि उपभोक्ता आयोग के सदस्यों के वेतन भत्ते आदि के नियम अगर नोटीफाइ नहीं किये गये हैं तो राज्य दो सप्ताह में उन्हें नोटीफाइ करें।

    अगर तय समय में रूल नोटीफाई नहीं होते तो अपने आप ही केंद्र के माडल रूल्स लागू मान लिए जाएंगे। जिन राज्यों ने सेलेक्शन कमेटी गठित नहीं की है वे चार सप्ताह में गठित करें। कोर्ट ने केंद्र सरकार की ओर से उपभोक्ता अदालतों के कंप्यूटरीकरण के लिए दिये गए फंड के उपयोग पर भी राज्यों से रिपोर्ट मांगी है।