SC: सुप्रीम कोर्ट ने अदालत परिसरों में शौचालयों की कमी पर जताई चिंता, देश के सभी न्यायालयों को दिया यह आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को देश के सभी न्यायालयों और ट्रिब्यूनलों में शौचालय की सुविधा को सुनिश्चित करने के अपने फैसले के बाद 20 हाई कोर्टों द्वारा अनुपालन रिपोर्ट नहीं दाखिल करने पर अपनी चिंता व्यक्त की और उन्हें ऐसा करने के लिए आठ सप्ताह का समय दिया। सर्वोच्च न्यायालय का यह निर्णय अधिवक्ता राजीब कलिता द्वारा दायर जनहित याचिका पर आया।

पीटीआई, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को देश के सभी न्यायालयों और ट्रिब्यूनलों में शौचालय की सुविधा को सुनिश्चित करने के अपने फैसले के बाद 20 हाई कोर्टों द्वारा अनुपालन रिपोर्ट नहीं दाखिल करने पर अपनी चिंता व्यक्त की और उन्हें ऐसा करने के लिए आठ सप्ताह का समय दिया।
देश में 25 कुल उच्च न्यायालय
बुधवार को पीठ ने नोट किया कि केवल झारखंड, मध्य प्रदेश, कोलकाता, दिल्ली और पटना के हाई कोर्टों ने फैसले के निर्देशों का पालन करने के लिए उठाए गए कदमों का विवरण देते हुए हलफनामे दाखिल किए हैं। देश में 25 कुल उच्च न्यायालय हैं। सर्वोच्च न्यायालय का यह निर्णय अधिवक्ता राजीब कलिता द्वारा दायर जनहित याचिका पर आया।
पीठ ने दिया यह आदेश
पीठ ने आदेश दिया, 'कई उच्च न्यायालयों ने अभी तक अपने हलफनामे/अनुपालन रिपोर्ट दाखिल नहीं की है। हम उन्हें अनुपालन रिपोर्ट दाखिल करने के लिए आठ सप्ताह का अंतिम अवसर देते हैं। हम स्पष्ट करते हैं कि यदि वे स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने में विफल रहते हैं तो उच्च न्यायालयों के रजिस्ट्रार जनरल को व्यक्तिगत रूप से अदालत में उपस्थित रहना होगा।'
पीठ ने चार महीने के भीतर एक स्थिति रिपोर्ट भी मांगी
जस्टिस जेबी पार्दीवाला और आर. महादेवन की पीठ ने सख्ती दिखाते हुए कहा था, अगले आठ सप्ताह में रिपोर्ट नहीं दाखिल करने पर कड़े परिणाम होंगे। 15 जनवरी को कोर्ट ने कहा था कि उचित स्वच्छता तक पहुंच संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत एक मौलिक अधिकार के रूप में मान्यता प्राप्त है। पीठ ने चार महीने के भीतर एक स्थिति रिपोर्ट भी मांगी थी।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।