क्या मौजूदा मानदंडों का वास्तव में पालन हो रहा? अनैतिक फार्मा प्रैक्टिस के मामलों पर कोर्ट ने पूछे कड़े सवाल
सुप्रीम कोर्ट ने दवा कंपनियों द्वारा दवाओं के प्रचार के अनैतिक तरीकों पर अंकुश लगाने के लिए समान संहिता की मांग वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि वास्तविक कठिनाई मौजूदा मानदंडों के क्रियान्वयन में है। जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच ने इस मामले में चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि व्यवस्था तो मौजूद है लेकिन उसका वास्तव में क्रियान्वयन होता है या नहीं।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। दवाओं के प्रचार के अनैतिक तरीकों पर अंकुश लगाने के लिए दवा कंपनियों के विपणन के तौर-तरीकों के लिए समान संहिता की मांग वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि वास्तविक कठिनाई मौजूदा मानदंडों के क्रियान्वयन में है।
केंद्र की ओर से पेश सालिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि याचिका में की गई प्रार्थना का कोई मतलब नहीं रह गया है क्योंकि एक वैधानिक व्यवस्था पहले से लागू है। इसके बाद ही जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता ने उक्त टिप्पणी की।
जस्टिस मेहता ने जताई चिंता
जस्टिस नाथ ने कहा, "मुश्किल यह है कि व्यवस्था तो मौजूद है, लेकिन उसका वास्तव में क्रियान्वयन होता है या नहीं?" वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि पिछले वर्ष एक नई व्यवस्था लाई गई थी। जस्टिस मेहता ने कहा, चिंता यही है कि अगर दंतहीन है.. तो इससे उद्देश्य हासिल होगा? सॉलिसिटर जनरल ने जवाब दिया, इसके नियंत्रण में सारी शक्ति है।
क्या है मामला?
गौरतलब है कि फार्मास्युटिकल मार्केटिंग प्रैक्टिसेज, 2024 के लिए समान संहिता पिछले वर्ष लागू हुई थी। तुषार मेहता के अनुरोध पर बाद में मामले की सुनवाई सात अक्टूबर के लिए स्थगित कर दी। फेडरेशन ऑफ मेडिकल एंड सेल्स रिप्रेजेंटेटिव्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया का याचिका पर शीर्ष अदालत ने मार्च, 2022 में सुनवाई पर सहमति व्यक्त की थी।
(न्यूज एजेंसी पीटीआई के इनपुट के साथ)
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