Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    'HC के कुछ जज काम करने में असमर्थ', सुप्रीम कोर्ट ने आखिर क्यों कहा ऐसा? कहा- प्रदर्शन का हो मूल्यांकन

    Updated: Mon, 22 Sep 2025 11:54 PM (IST)

    सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के जजों के प्रदर्शन मूल्यांकन पर जोर दिया है। जस्टिस सूर्यकांत और एन. कोटिश्वर सिंह की पीठ ने कहा कि कुछ जज अपने कार्यों को पूरा करने में असमर्थ हैं इसलिए उनके प्रदर्शन का मूल्यांकन किया जाना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि वह हाई कोर्ट के जजों के लिए स्कूल प्रिंसिपल की तरह काम नहीं करना चाहती।

    Hero Image
    सुप्रीम कोर्ट ने कहा- प्रदर्शन का हो मूल्यांकन (फाइल फोटो)

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि हाई कोर्ट के कुछ जज अपने कार्यों को पूरा करने में असमर्थ हैं। इसलिए उनके प्रदर्शन का मूल्यांकन किया जाना चाहिए। जस्टिस सूर्यकांत और एन. कोटिश्वर सिंह की पीठ ने कहा कि वह हाई कोर्ट के जजों के लिए स्कूल प्रिंसिपल की तरह काम नहीं करना चाहती। लेकिन, यह सुनिश्चित करने के लिए एक सेल्फ-मैनेजमेंट सिस्टम होना चाहिए कि उनकी मेज पर फाइलों का ढेर न लगे।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    पीठ ने कहा कि कुछ न्यायाधीश ऐसे हैं, जो दिन-रात काम करते हैं और बेहतरीन तरीके से केस निपटाते हैं। लेकिन, साथ ही कुछ जज ऐसे भी हैं जो दुर्भाग्यवश काम नहीं कर पाते। कारण चाहे अच्छा हो या बुरा, हमें नहीं पता। मान लीजिए कोई जज एक क्रिमिनल अपील की सुनवाई कर रहा है, तो हम यह उम्मीद नहीं करते कि वह एक दिन में 50 केस निपटाए।

    एक दिन में एक क्रिमिनल अपील का फैसला करना भी बहुत बड़ी बात है। लेकिन अगर कोई जज यह कहे कि वह एक दिन में सिर्फ एक ही जमानत का मामला निपटाएगा, तो इस पर आत्म¨चतन की आवश्यकता है। आजीवन कारावास और मृत्युदंड पाने वाले कुछ कैदियों ने यह आरोप लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था कि झारखंड हाई कोर्ट ने वर्षों तक फैसला सुरक्षित रखने के बाद भी उनकी अपील पर कोई निर्णय नहीं दिया।

    हाई कोर्ट ने सुनाया फैसला

    हालांकि, बाद में हाई कोर्ट ने इन मामलों में फैसला सुनाया और कई कैदियों को बरी कर दिया। इसी मामले में सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने उक्त टिप्पणी की। शीर्ष अदालत ने ''परफार्मेंस मूल्यांकन'' पर जोर दिया, लेकिन इस प्रक्रिया को नियंत्रित करने वाले पैरामीटर और दिशा-निर्देशों पर भी ध्यान दिलाया।

    कहा कि हमारा इरादा स्कूल के प्रिंसिपल की तरह काम करना नहीं है। लेकिन, एक व्यापक दिशा-निर्देश होना चाहिए, ताकि जजों को पता चले कि उनके सामने क्या काम है और उन्हें कितना काम पूरा करना है। आम जनता को न्यायपालिका से काफी उम्मीदें हैं। जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि बिना किसी वजह के मामलों को टालना कुछ न्यायाधीशों की आदत होती है और यह जजों की छवि के लिए खतरनाक हो सकता है।