Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    महिलाओं को पीरियड लीव मिलनी चाहिए या नहीं...? याचिका पर SC ने केंद्र को दिए ये अहम निर्देश

    सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में महिलाओं को पीरियड लीव देने पर केंद्र ने राज्यों और अन्य हितधारकों के साथ परामर्श कर एक नीति बनाने का आदेश दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने तर्क दिया कि यह नीति से जुड़ा मुद्दा है और इस पर न्यायालय को विचार नहीं करना चाहिए। दरअसल महिलाओं को इस तरह की छुट्टी देने के बारे में निर्णय प्रतिकूल और ‘हानिकारक’ साबित हो सकता है।

    By Agency Edited By: Nidhi Avinash Updated: Mon, 08 Jul 2024 01:21 PM (IST)
    Hero Image
    महिलाओं को पीरियड लीव मिलना चाहिए या नहीं...? (Image: ANI)

    एएनआई, नई दिल्ली। Period Leave: महिलाओं को पीरियड लीव मिलना चाहिए या नहीं, इस पर सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को केंद्र सरकार को अहम निर्देश दिए है। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को राज्यों और अन्य हितधारकों से परामर्श कर महिला कर्मचारियों के लिए मासिक धर्म अवकाश पर एक आदर्श नीति तैयार करने का आदेश दिया है। 

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला तथा न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने साफ कहा कि यह नीति से जुड़ा मुद्दा है और इस पर न्यायालय को विचार नहीं करना चाहिए। इसके अलावा, महिलाओं को इस तरह की छुट्टी देने के बारे में SC का ऐसा निर्णय प्रतिकूल और ‘हानिकारक’ साबित हो सकता है, क्योंकि नियोक्ता उन्हें काम पर रखने से बच सकते हैं।

    पीरियड लीव मिलने से क्या कामकाज पर पड़ेगा असर?

    अदालत ने याचिकाकर्ता से पूछा कि अगर पीरियड लीव दिया गया तो इससे महिलाओं को कार्यबल का हिस्सा बनने के लिए कैसे प्रोत्साहित किया जाएगा? सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस तरह की छुट्टी अनिवार्य करने से महिलाएं कार्यबल से दूर हो जाएंगी। पीठ ने कहा, "...हम ऐसा नहीं चाहते हैं। यह वास्तव में सरकार की नीति का पहलू है और अदालतों को इस पर गौर नहीं करना चाहिए।'

    SC ने आगे कहा कि याचिकाकर्ता का कहना है कि मई 2023 में केंद्र को एक अभ्यावेदन प्रस्तुत किया गया था। चूंकि मुद्दे राज्य की नीति के विविध उद्देश्यों को उठाते हैं, इसलिए इस अदालत के लिए हमारे पिछले आदेश के आलोक में हस्तक्षेप करने का कोई कारण नहीं है।

    पीरियड लीव पर क्या आदर्श नीति की जाएगी तैयार?

    हालांकि, पीठ ने याचिकाकर्ता और वकील शैलेंद्र त्रिपाठी की ओर से पेश हुए वकील राकेश खन्ना को महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के सचिव और अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी के समक्ष मामला रखने की अनुमति दे दी है।

    पीठ ने आदेश दिया, 'हम सचिव से अनुरोध करते हैं कि वे नीति स्तर पर मामले को देखें और सभी हितधारकों से परामर्श करने के बाद निर्णय लें और देखें कि क्या एक आदर्श नीति तैयार की जा सकती है।' न्यायालय ने स्पष्ट किया कि यदि राज्य इस संबंध में कोई कदम उठाते हैं तो केंद्र की परामर्श प्रक्रिया उनके आड़े नहीं आएगी।

    क्या पीरियड लीव पर केंद्र सरकार लेगा कोई निर्णय?

    इससे पहले शीर्ष अदालत ने देशभर में छात्राओं और कामकाजी महिलाओं के लिए मासिक धर्म के दर्द से मुक्ति की मांग वाली याचिका का निपटारा किया था। तब कोर्ट ने कहा था कि चूंकि यह मुद्दा नीतिगत दायरे में आता है, इसलिए केंद्र के समक्ष अपना पक्ष रखा जा सकता है। वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा कि केंद्र ने अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया है।

    यह भी पढ़ें: SC on NEET UG 2024: सुप्रीम कोर्ट में नीट यूजी की 38 याचिकाओं पर सुनवाई जारी, काउंसलिंग पर ये है अपडेट

    यह भी पढ़ें: नीट-यूजी परीक्षा पर सोमवार को सुप्रीम सुनवाई, कोर्ट के फैसले पर टिकी 24 लाख निगाहें