'प्रचार के लिए दायर की गई जनहित याचिका', जानिए सुप्रीम कोर्ट ने क्यों लगाई फटकार, चेतावनी भी दी
सुप्रीम कोर्ट ने राज्य निर्वाचन आयोगों को राजनीतिक दलों की अवैध गतिविधियों पर रोक लगाने के निर्देश देने संबंधी जनहित याचिका खारिज कर दी। कोर्ट ने इसे प्रचार हित से प्रेरित बताया और सुनवाई से इनकार किया। प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति बीआर गवई की पीठ ने सीधे सुप्रीम कोर्ट आने पर नाराजगी जताई और याचिकाकर्ता को चेतावनी दी कि पहले भी अवमानना कार्रवाई से बचाया गया है।

पीटीआई, नई दिल्ली। राज्य निर्वाचन आयोगों को देश हित में राजनीतिक दलों की अवैध गतिविधियों पर रोक लगाने के संबंध में निर्देश देने से जुड़ी एक जनहित याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया।
कोर्ट ने कहा कि ये याचिका केवल प्रचार हित को ध्यान में रखते हुए दायर की गई है, जिस पर हम कोई सुनवाई नहीं कर सकते। प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति के विनोद चंद्रन और अतुल एस चंदुरकर की पीठ ने मामलों को लेकर सीधे सुप्रीम कोर्ट आने पर भी नाराजगी जताई।
'पहले भी अवमानना कार्रवाई से बचाया है'
प्रधान न्यायाधीश ने याचिकाकर्ता को चेतावनी देते हुए पूछा कि क्या ये याचिका बॉम्बे उच्च न्यायालय में दायर नहीं की जा सकती थी। सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता को याद दिलाया कि हमने आपको पहले भी अवमानना कार्रवाई से बचाया है।
याचिका में क्या की गई थी मांग?
गौरतलब है कि याचिका में सभी राज्य चुनाव आयोगों को देश भर में राजनीतिक दलों की गैरकानूनी गतिविधियों पर नजर रखने और उन्हें रोकने के लिए एक संयुक्त योजना तैयार करने के निर्देश देने की मांग की गई थी।
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