Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    पदोन्नति में आरक्षण के मसले पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को समसामयिक आंकड़ों पर हलफनामा दाखिल करने का दिए निर्देश

    By Krishna Bihari SinghEdited By:
    Updated: Fri, 25 Feb 2022 02:34 AM (IST)

    सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को सरकारी नौकरियों में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति को पदोन्नति में आरक्षण देने के मसले पर केंद्र को उपलब्ध समसामयिक आंकड़ों पर एक हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया। जानें सर्वोच्‍च अदालत ने अपने आदेश में क्‍या कहा...

    Hero Image
    सुप्रीम कोर्ट ने पदोन्नति में आरक्षण देने के मसले पर केंद्र को हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है।

    नई दिल्‍ली, पीटीआइ। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने गुरुवार को सरकारी नौकरियों में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (Scheduled Castes and Scheduled Tribes) को पदोन्नति में आरक्षण देने के मसले पर केंद्र को उपलब्ध समसामयिक आंकड़ों पर एक हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया। जस्टिस एल नागेश्वर राव और बीआर गवई की पीठ ने इस मसले पर सुनवाई की। शीर्ष अदालत ने कहा कि वह 30 मार्च को दिल्ली और पंजाब-हरियाणा के उच्च न्यायालयों के फैसलों के कारण आए मामलों पर सुनवाई करेगी।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    सर्वोच्‍च अदालत ने भारत सरकार को हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया जिसमें समसामयिक कैडर वार आंकड़ों के बारे में विवरण हो। बता दें कि बीते 28 जनवरी को शीर्ष अदालत ने एससी और एसटी को सरकारी नौकरियों में पदोन्नति में आरक्षण देने के लिए कोई भी मानदंड निर्धारित करने से इनकार दिया था। शीर्ष अदालत ने कहा था कि एससी और एसटी के अपर्याप्त प्रतिनिधित्व का निर्धारण राज्यों के विवेक का मसला है। न्यायालयों के लिए इस तरह के मानदंड का निर्धारण न तो कानूनी है और ना ही उचित है...

    शीर्ष अदालत ने अपने फैसले में कहा था कि अदालतों के लिए कानूनी लिहाज से उचित नहीं है कि वे कार्यपालिका को उस क्षेत्र के संबंध में निर्देश जारी करें जो संविधान के तहत विशेष रूप से उन्‍हें दिया गया है। मालूम हो कि साल 2018 में संविधान पीठ ने एम नागराज मामले में 2006 के फैसले को संदर्भित करने से इनकार कर दिया था। पांच न्यायाधीशों की पीठ ने एससी एसटी के लिए क्रीमी लेयर की अवधारणा को पुनर्विचार के लिए सात न्यायाधीशों की बड़ी पीठ तक विस्तारित कर दिया था।

    सुप्रीम कोर्ट का कहना था कि प्रोन्नति में आरक्षण देने के लिए अपर्याप्त प्रतिनिधित्व के आंकड़े जुटाना जरूरी है। यही नहीं समय समय पर इसकी समीक्षा भी की जानी चाहिए। प्रोन्नति में आरक्षण के लिए क्वांटीफेबल (परिमाण या मात्रा के) आंकड़े जुटाने में कैडर को एक यूनिट माना जाना चाहिए। हालांकि अदालत ने यह भी कहा था कि इस बारे में हम कोई मानक तय नहीं कर सकते हैं।

    राज्य के तहत सेवाओं में एससी और एसटी के अपर्याप्त प्रतिनिधित्व का निर्धारण राज्य के विवेक पर छोड़ा जाता है। सर्वोच्‍च अदालत ने यह भी कहा था कि प्रतिनिधित्व की अपर्याप्तता के निर्धारण के लिए मानदंड निर्धारित करने से राज्य सरकारों को उपलब्‍ध विवेक में कमी आएगी। इस मुद्दे पर स्थानीय परिस्थितियों पर भी ध्यान देने की जरूरत हो सकती है जो किसी सूरत में एक समान नहीं हो सकती हैं।