B.Tech छात्रा के गर्भपात को लेकर सुप्रीम कोर्ट गंभीर, AIIMS के निदेशक को टीम गठित कर रिपोर्ट देने के निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने एम्स के निदेशक को डॉक्टरों की एक टीम गठित करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा कि कि ये टीम यह जांच करेगी कि क्या 20 वर्षीय अविवाहित बी.टेक छात्रा के 29 सप्ताह के गर्भ को गिराना सुरक्षित है या नहीं।

नई दिल्ली, एजेंसी। बी.टेक की छात्रा के गर्भपात कराने के फैसले को लेकर सुप्रीम कोर्ट काफी गंभीर है। शीर्ष न्यायालय ने दिल्ली के एम्स के निदेशक को इसको लेकर 20 जनवरी तक डॉक्टरों की एक टीम गठित करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा कि कि ये टीम यह जांच करेगी कि क्या 20 वर्षीय अविवाहित बी.टेक छात्रा के 29 सप्ताह के गर्भ को गिराना सुरक्षित है या नहीं। एम्स को इसके बाद रिपोर्ट जमा करने के लिए भी कहा गया है।
सुप्रीम कोर्ट ने 6 महीने तक गर्भपात की दी है इजाजत
सुप्रीम कोर्ट ने बीते साल ही गर्भपात को लेकर एक बड़ा फैसला सुनाया था। कोर्ट ने सितंबर 2022 को एक याचिका पर फैसला सुनाते हुए कहा था कि महिला चाहे विवाहित हो या नहीं सभी को गर्भपात का अधिकार है। बता दें कि इससे पहले केवल विवाहित महिला को 24 हफ्ते तक गर्भपात कराने का अधिकार था।
MTP में हुआ बदलाव
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट (MTP) के तहत 24 हफ्ते तक सभी महिलाओं को गर्भपात कराने की इजाजत मिल गई है। कोर्ट ने इसी के साथ कहा था कि इस एक्ट के तहत अविवाहित महिला को बाहर रखना असंवैधानिक है।
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