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    'आप जैसे लोगों के कारण ही भारतीय पासपोर्ट की प्रतिष्ठा खराब हुई' 'डंकी रूट' को लेकर SC की सख्त टिप्पणी

    Updated: Mon, 16 Jun 2025 10:14 PM (IST)

    सुप्रीम कोर्ट ने डंकी रूट के जरिए अमेरिका भेजने का वादा करके एक व्यक्ति को ठगने के आरोपित को अग्रिम जमानत देने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने कहा कि ऐसे ल ...और पढ़ें

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    'डंकी रूट' के जरिए अमेरिका भेजने का वादा करके एक व्यक्ति को ठगने के आरोप में SC में हुई सुनवाई।

    पीटीआई, नई दिल्ली। 'डंकी रूट' के जरिए अमेरिका भेजने का वादा करके एक व्यक्ति को कथित रूप से ठगने के आरोपित को सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को अग्रिम जमानत देने से इन्कार कर दिया। कोर्ट ने बेहद तीखी टिप्पणी करते हुए कहा कि ऐसे लोग भारतीय पासपोर्ट को बदनाम करते हैं। जस्टिस उज्जल भुइयां और जस्टिस मनमोहन की पीठ ने कहा, ''आप जैसे लोगों के कारण ही भारतीय पासपोर्ट का मूल्य कम हो रहा है।''

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    कोर्ट ने कहा कि कुछ लोगों के ऐसे कृत्यों से भारतीय पासपोर्ट की प्रतिष्ठा खराब हुई है। ''डंकी रूट'' या ''डंकी जर्नी'' किसी दूसरे देश में प्रवेश करने के एक अवैध तरीके को संदर्भित करता है। इसका उपयोग आमतौर पर अमेरिका या ब्रिटेन जैसे देशों में प्रवेश करने के लिए किया जाता है। इस प्रक्रिया में कानूनी आव्रजन प्रक्रियाओं को दरकिनार कर मानव तस्करों के माध्यम से अक्सर कठोर और खतरनाक परिस्थितियों का सामना करते हुए विभिन्न देशों में प्रवेश कराया जाता है।

    ''डंकी'' शब्द पंजाबी मुहावरे पर आधारित एक खेल है जिसका अर्थ है - कूदकर एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाना। बहरहाल, मामले के तथ्यों का हवाला देते हुए पीठ ने कहा कि आरोपित ने न केवल उस व्यक्ति को धोखा दिया, बल्कि उसे अमानवीय परिस्थितियों में अमेरिका की सीमा से लगे कई देशों में भटकने पर भी विवश किया ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि वह अवैध रूप से अमेरिका में प्रवेश कर सके।

    पीठ ने इन आरोपों को ''बहुत गंभीर'' करार दिया और हरियाणा के रहने वाले ओम प्रकाश की अग्रिम जमानत याचिका पर विचार करने से इन्कार कर दिया।

    यह याचिका पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के उस आदेश के खिलाफ दायर की गई थी, जिसमें उन्हें इस मामले में राहत देने से इन्कार कर दिया गया था। एफआइआर में आरोप लगाया गया है कि प्रकाश मुख्य आरोपित का साथी था जो एक एजेंट के रूप में काम कर रहा था और उसने शिकायतकर्ता को आश्वासन दिया था कि वह 43 लाख रुपये के भुगतान पर उसे वैध तरीके से अमेरिका भेज देगा।

    मुख्य आरोपित ने शिकायतकर्ता को सितंबर, 2024 में दुबई भेजा और वहां से अलग-अलग देशों में..फिर पनामा के जंगलों में और फिर मेक्सिको भेजा। एक फरवरी, 2025 को मुख्य आरोपित के 'एजेंटों' ने उसे अमेरिकी सीमा पार करवा दिया। शिकायतकर्ता को अमेरिकी पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया और 16 फरवरी, 2025 को भारत भेज दिया। हाईकोर्ट ने अग्रिम जमानत देने से इन्कार करते हुए कहा कि शिकायतकर्ता के पिता ने गवाही दी है कि याचिकाकर्ता ने उनसे 22 लाख रुपये ठगे हैं।