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    'लिंग के आधार पर दो मानदंड कैसे हो सकते हैं' SC ने महिला सैन्य अधिकारियों के लिए नियुक्ति मानदंड पर जताई नाराजगी

    Updated: Wed, 17 Sep 2025 11:31 PM (IST)

    सुप्रीम कोर्ट ने एसएससी की महिला सैन्य अधिकारियों को स्थायी कमीशन देने के मामले में नियुक्ति मानदंड पर विचार करने में मनमानी पर नाराजगी जताई। कोर्ट ने पूछा कि एक ही प्रशिक्षण और पोस्टिंग से गुजरने वाले पुरुष और महिला अधिकारियों के लिए अलग-अलग नियम कैसे हो सकते हैं। याचिकाकर्ताओं ने पुरुष समकक्षों के समान प्रशिक्षण के बावजूद आकस्मिक ग्रेडिंग पर आपत्ति जताई।

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    'लिंग के आधार पर दो मानदंड कैसे हो सकते हैं'

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने पुरुष समकक्षों की तुलना में स्थायी कमीशन चाहने वाली शॉर्ट सर्विस कमीशन (एसएससी) महिला सैन्य अधिकारियों के लिए 'नियुक्ति मानदंड' पर विचार करने में 'मनमानी' पर नाराजगी जताई है। 'नियुक्ति मानदंड' का अर्थ आमतौर पर किसी कठिन और प्रतिकूल क्षेत्र या आपरेशन में किसी पद की कमान संभालने वाले अधिकारी से होता है।

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    बुधवार को जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस उज्जल भुइयां और जस्टिस एन. कोटिश्वर सिंह की पीठ 13 महिला सैन्य अधिकारियों की उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें उन्हें स्थायी कमीशन देने से इन्कार करने को चुनौती दी गई थी। बहरहाल, पीठ ने सवाल किया कि एक ही प्रशिक्षण और पोस्टिंग से गुजरने वाले पुरुष और महिला अधिकारियों के लिए दो मानदंड कैसे हो सकते हैं।

    लिंग के आधार पर दो मानदंड कैसे हो सकते हैं- कोर्ट

    पीठ ने कहा, ''लिंग के आधार पर दो मानदंड कैसे हो सकते हैं? क्या एसएससी महिला अधिकारियों और पुरुष अधिकारियों के मूल्यांकन का कोई अलग प्रारूप है? क्या यह प्रारूप एसएससी अधिकारियों और स्थायी कमीशन वालों के लिए अलग है?'' इन 13 अधिकारियों की ओर से पेश होने वाली वरिष्ठ अधिवक्ता मेनका गुरुस्वामी ने कहा कि अपीलकर्ता अपने पुरुष समकक्षों के समान प्रशिक्षण और पो¨स्टग प्राप्त करने के बावजूद प्राप्त आकस्मिक (कैजुअल) ग्रेडिंग से व्यथित हैं।

    गुरुस्वामी ने दलील दी, ''यह ग्रेडिंग उस समय किए गए व्यक्तिपरक मूल्यांकन के परिणामस्वरूप हुई जब वे स्थायी कमीशन के लिए पात्र नहीं थीं। पुरुष अधिकारियों के प्रदर्शन का लगातार स्थायी कमीशन को ध्यान में रखते हुए मूल्यांकन किया जाता था। इसके विपरीत, इस कोर्ट द्वारा 2020 में महिलाओं को स्थायी कमीशन के लिए पात्रता प्रदान करने के फैसले से पहले ही अपीलकर्ताओं की वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट 2019 में ही रोक दी गई थी।''

    गुरुस्वामी ने बताया कि जिन 13 अधिकारियों का उन्होंने प्रतिनिधित्व किया उनमें लेफ्टिनेंट कर्नल वनिता पाधी कांगो में संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन में तैनात थीं, लेफ्टिनेंट कर्नल चांदनी मिश्रा 88 देशों में मैनोवरेबल एक्सपेंडेबल एरियल टारगेट (एमईएटी) उड़ाने वाली पहली महिला पायलट थीं और लेफ्टिनेंट कर्नल गीता शर्मा भी लद्दाख जैसे अधिक ऊंचाई वाले क्षेत्रों में तैनात रही हैं और मेजर खिम ने अखनूर (पाकिस्तान सीमा के पास) में सेवा की है।

    जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि यह समस्या कुछ वरिष्ठ अधिकारियों की ''रूढि़वादी सोच'' और ''धारणाओं'' के कारण प्रतीत होती है। गुरुस्वामी ने दलील दी कि उन्हें कोई पेंशन या चिकित्सा भत्ता नहीं दिया जा रहा है। बहरहाल, बुधवार को सुनवाई अधूरी रही और अब गुरुवार को भी जारी रहेगी।

    (समाचार एजेंसी पीटीआई के इनपुट के साथ)

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