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    अदाणी-हिंडनबर्ग मामले में जनहित याचिकाओं की हियरिंग पर हो रही देरी, SC ने दिया मामले को देखने का आश्वसन

    सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि शीर्ष अदालत रजिस्ट्री अदाणी समूह (Adani Hindenburg row) द्वारा स्टॉक मूल्य में हेरफेर के आरोपों से संबंधित जनहित याचिकाओं को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने के मुद्दे पर गौर करेगी। अदालत ने सेबी को जांच के लिए 14 अगस्त तक का समय देते हुए कहा था कि जांच जल्द पूरी की जानी चाहिए।

    By AgencyEdited By: Nidhi AvinashUpdated: Mon, 06 Nov 2023 03:09 PM (IST)
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    अदाणी-हिंडनबर्ग मामले में जनहित याचिकाओं की हियरिंग पर हो रही देरी (Image: ANI)

    पीटीआई, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट अदाणी-हिंडनबर्ग विवाद पर जनहित याचिकाओं को सूचीबद्ध करने की याचिका पर विचार करेगा।

    याचिकाकर्ताओं में से एक की ओर से पेश वकील प्रशांत भूषण ने मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ को बताया कि ये जनहित याचिकाएं 28 अगस्त को सूचीबद्ध की जानी थीं। हालांकि, इस मामले को टाल दिया गया। इस पर सीजेआई ने जवाब दिया कि 'मैं कोर्ट रजिस्ट्री से जांच करूंगा।'

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    SEBI को दिया था समय 

    11 जुलाई को, शीर्ष अदालत ने भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) से अदाणी समूह द्वारा स्टॉक मूल्य में हेरफेर के आरोपों की चल रही जांच की स्थिति के बारे में पूछा था। अदालत ने सेबी को जांच के लिए 14 अगस्त तक का समय देते हुए कहा था कि जांच जल्द पूरी की जानी चाहिए। बाद में, पूंजी बाजार नियामक ने अदाणी-हिंडनबर्ग जांच पर एक स्थिति रिपोर्ट दायर की और कहा कि वह टैक्स हेवेन से जानकारी का इंतजार कर रहा है।

    सेबी ने दी थी जांच को लेकर कोर्ट को जानकारी 

    सेबी ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि उसने अदाणी समूह के खिलाफ दो को छोड़कर सभी आरोपों की जांच पूरी कर ली है और समूह में निवेश करने वाले विदेशी निवेशकों के वास्तविक मालिकों के बारे में अभी भी पांच टैक्स हेवेन से जानकारी का इंतजार कर रही है। रिपोर्ट में कहा गया है कि जिन 24 मामलों की जांच की जा रही है, उनमें से 22 के निष्कर्ष अंतिम हैं। अपनी जांच के नतीजों का खुलासा किए बिना, सेबी ने संबंधित पार्टी लेनदेन सहित अपनी जांच के दौरान उठाए गए कदमों का विस्तृत विवरण दिया था।

    कानून के मुताबिक उचित कार्रवाई करेगा सेबी

    नियामक ने कहा था, 'सेबी जांच के नतीजे के आधार पर कानून के मुताबिक उचित कार्रवाई करेगा। अंतिम रूप दी गई जांच रिपोर्ट में स्टॉक की कीमतों में हेरफेर, संबंधित पक्षों के साथ लेनदेन का खुलासा करने में कथित विफलता और समूह के कुछ शेयरों में अंदरूनी व्यापार के संभावित उल्लंघन के आरोप शामिल हैं।' 17 मई को शीर्ष अदालत ने सेबी को अदाणी समूह द्वारा स्टॉक मूल्य में हेरफेर के आरोपों की जांच पूरी करने के लिए 14 अगस्त तक का समय दिया था।

    'हेरफेर का कोई स्पष्ट पैटर्न' नहीं देखा

    सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त विशेषज्ञ समिति ने मई में एक अंतरिम रिपोर्ट में कहा था कि उसने अरबपति गौतम अदाणी की कंपनियों में 'हेरफेर का कोई स्पष्ट पैटर्न' नहीं देखा और कोई नियामक विफलता नहीं हुई। हालांकि, इसने 2014 और 2019 के बीच सेबी द्वारा किए गए कई संशोधनों का हवाला दिया। 17 मई को, शीर्ष अदालत ने निर्देश दिया था कि शीर्ष अदालत द्वारा नियुक्त न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) ए एम सप्रे विशेषज्ञ समिति द्वारा उसके समक्ष प्रस्तुत रिपोर्ट की प्रतियां पार्टियों को उपलब्ध कराई जाएं ताकि वे मामले में आगे के विचार-विमर्श में सहायता कर सकें।

    अदाणी समूह के शेयरों में भारी गिरावट

    गौरतलब है कि हिंडनबर्ग रिसर्च द्वारा व्यापार समूह के खिलाफ धोखाधड़ी वाले लेनदेन और शेयर-मूल्य में हेरफेर सहित कई आरोप लगाए जाने के बाद अदाणी समूह के शेयरों में भारी गिरावट आई थी। अदाणी समूह ने आरोपों को झूठ बताते हुए खारिज कर दिया और कहा कि वह सभी कानूनों और प्रकटीकरण आवश्यकताओं का अनुपालन करता है।

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