'जांच एजेंसियां वकीलों को कैसे भेज सकती हैं नोटिस', क्या है मामला जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने जताई नाराजगी?
सुप्रीम कोर्ट ने वकीलों को जांच एजेंसियों द्वारा नोटिस भेजने पर चिंता व्यक्त की है क्योंकि वकील और मुवक्किल के बीच संवाद विशेषाधिकार प्राप्त होता है। अदालत ने इस मुद्दे पर स्वत संज्ञान लिया जब ईडी ने वरिष्ठ वकीलों को समन भेजा था जिसके बाद वकीलों के संघों ने विरोध जताया था। अटार्नी जनरल ने भी इसे गलत बताया।

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को पुलिस और जांच एजेंसियों के मुवक्किलों को सलाह देने वाले वकीलों को नोटिस और समन करने पर चिंता जताते हुए कहा कि वकील और मुवक्किल के बीच संवाद विशेषाधिकार प्राप्त होता है।
उसे प्रकट करने से छूट होती है। उस पर नोटिस कैसे दिया जा सकता सकता है? कोर्ट ने जांच एजेंसियों के रवैये पर नाराजगी जताते हुए मामले में दिशा-निर्देश तय करने के संकेत दिए।
सुप्रीम कोर्ट ने ऐसे मामलों का खुद लिया संज्ञान
सुप्रीम कोर्ट जांच एजेंसियों द्वारा मुवक्किलों को सलाह देने वाले वकीलों को नोटिस और समन भेजे जाने के मामलों पर स्वत: संज्ञान लेकर सुनवाई कर रहा है। यह मामला जून में उस समय उठा था, जब ईडी ने सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील अरविंद दत्तार और प्रताप वेणुगोपाल को समन और नोटिस भेजा था। तभी वकीलों के विभिन्न संघों ने इस पर भारी विरोध जताया था और प्रधान न्यायाधीश को संज्ञान लेने के लिए पत्र लिखा था।
इस बात पर भी जताई चिंता
इसके बाद ईडी ने समन वापस ले लिया था और एक सर्कुलर जारी किया था कि किसी भी वकील को निदेशक की पूर्व इजाजत के बगैर समन या नोटिस जारी नहीं किया जाएगा। इसी बीच गत 25 जून को गुजरात से जुड़े एक मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस केवी विश्वनाथन और एन. कोटिश्वर सिंह की पीठ ने जांच एजेंसियों द्वारा मुवक्किल को सलाह देने वाले वकीलों को समन और नोटिस भेजने पर चिंता जताई थी और उचित आदेश के लिए मामला सीजेआइ के समक्ष पेश करने का आदेश दिया था।
सीजेआई ने कही ये बात
सोमवार को यह मामला प्रधान न्यायाधीश बीआर गवई और जस्टिस के. विनोद चंद्रन की पीठ के समक्ष सुनवाई पर लगा था। सीजेआइ ने कहा कि जब उन्होंने कुछ कानूनी खबरों की साइटों पर वकीलों को नोटिस के बारे में पढ़ा तो स्तब्ध रह गए। सीजेआइ ने कहा कि सारे मामले एक साथ सुनवाई के लिए संलग्न किए जाएं। कोर्ट इस पर दिशा-निर्देश तय करेगा।
जांच एजेंसियों द्वारा वकीलों को समन भेजना गलत
सुनवाई के दौरान मौजूद अटार्नी जनरल आर. वेंकटरमणी ने भी इससे सहमति जताई कि जांच एजेंसियों द्वारा वकीलों को समन भेजना गलत है। अटार्नी जनरल और सालिसिटर जनरल दोनों ने कोर्ट में कहा कि इस मुद्दे को सर्वोच्च स्तर पर उठाया गया है और उसी के बाद ईडी ने नोटिस वापस लिया और सर्कुलर जारी किया। सालिसिटिर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट के दृष्टिकोण से सहमति जताई, लेकिन यह भी जोड़ा कि कुछ लोग लगातार जांच एजेंसी के खिलाफ धारणा बनाने में लगे हुए हैं।
हालांकि, सीजेआइ इस दलील से प्रभावित नहीं हुए। उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं है। पीठ जो कह रही है, वह अपने अनुभव के आधार पर कह रही है। कितने ही मामले उन्होंने देखे हैं, जिनमें हाई कोर्ट का आदेश उचित होता है। लेकिन ईडी सिर्फ अपील करने के लिए याचिका दाखिल कर देती है।
सीजेआइ ने कहा कि यहां वह सिर्फ वकीलों को नोटिस और समन के मामले पर विचार कर रहे हैं। मेहता ने भी कहा कि वह इस मामले के विरोध में कतई नहीं हैं। बाद में कोर्ट ने विभिन्न हस्तक्षेप अर्जियों को मंजूर करते हुए केस को मंगलवार को सुनवाई पर लगाने का आदेश दिया।
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