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    डिजिटल अरेस्ट मामले में सुप्रीम कोर्ट में सीलबंद रिपोर्ट दाखिल, 10 नवंबर को होगी अगली सुनवाई

    Updated: Mon, 03 Nov 2025 10:00 PM (IST)

    सुप्रीम कोर्ट ने डिजिटल गिरफ्तारी के जरिए साइबर धोखाधड़ी से 3,000 करोड़ रुपये की वसूली पर चिंता जताई। कोर्ट ने कहा कि अपराधियों से सख्ती से निपटा जाएगा। गृह मंत्रालय और सीबीआई ने सीलबंद रिपोर्ट दाखिल की। मंत्रालय के तहत साइबर अपराध समन्वय केंद्र (I4C) कार्रवाई कर रहा है। मामले की अगली सुनवाई 10 नवंबर को होगी।

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    जस्टिस सूर्यकांत, उज्जल भुइयां और जोयमाल्या बागची की पीठ ने की सुनवाई (फाइल फोटो)

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने साइबर धोखाधड़ी, खासतौर पर डिजिटल अरेस्ट के जरिये देश के लोगों से लगभग 3,000 करोड़ रुपये वसूले जाने पर सोमवार को हैरानी जताई और कहा कि यह सब हमारे देश में हुआ है। कोर्ट ने इससे निपटने के लिए कड़े आदेश देने की जरूरत बताते हुए कहा कि अगर अभी इसे नजरअंदाज करते हैं तो भविष्य में समस्या बढ़ सकती है।

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    जस्टिस सूर्यकांत, उज्जल भुइयां और जोयमाल्या बागची की पीठ ने कहा कि हम इन अपराधियों से सख्ती से निपटेंगे। हमें न्यायिक आदेशों के जरिये अपनी एजेंसियों के हाथ मजबूत करने होंगे। इस पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा, सबसे दयनीय पहलू है कि पीड़ित बुजुर्ग लोग हैं।

    डिजिटल अरेस्ट के मामले में सील बंद रिपोर्ट दाखिल

    उन्होंने केंद्रीय गृह मंत्रालय और सीबीआइ की ओर से डिजिटल अरेस्ट के मामले में सील बंद रिपोर्ट दाखिल की, जिसे कोर्ट ने रिकार्ड पर ले लिया। शीर्ष अदालत डिजिटल अरेस्ट के मामले में स्वत: संज्ञान लेकर सुनवाई कर रही है।

    सुनवाई के दौरान सोमवार को सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने गृह मंत्रालय और सीबीआइ की ओर से सीलबंद लिफाफे में रिपोर्ट दाखिल की और कहा कि गृह मंत्रालय में एक अलग इकाई आइ4सी (इंडियन साइबर क्राइम कोआर्डिनेशन सेंटर) इससे निपट रही है। समन्वय के साथ कई कदम उठाए जा रहे हैं।

    10 नवंबर को फिर सुनवाई

    तीन सदस्यीय पीठ में शामिल जस्टिस सूर्यकांत ने कहा, सीबीआइ ने बताया है कि अपराध सिंडिकेट विदेश से संचालित किए जा रहे हैं, जहां उनके वित्तीय, तकनीकी और मानवीय आधार वाले ''घोटाला परिसर'' हैं। इसके बाद कोर्ट ने मामले को 10 नवंबर को फिर सुनवाई पर लगाने का आदेश दिया और कहा कि वह न्यायमित्र के सुझावों के आधार पर कुछ निर्देश जारी करेगा।

    पिछली सुनवाई पर कोर्ट ने डिजिटल अरेस्ट के देशभर के मामलों की जांच सीबीआइ को सौंपने की इच्छा जताते हुए पूछा था कि क्या उसके पास सभी मामलों की जांच करने के लिए पर्याप्त संसाधन हैं। साथ ही राज्यों से कहा था कि वह अपने यहां साइबर ठगी और डिजिटल अरेस्ट के मामलों का ब्योरा दें। सुप्रीम कोर्ट ने डिजिटल अरेस्ट का शिकार होकर 1.5 करोड़ रुपये गंवाने वाले हरियाणा के एक बुजुर्ग दंपती के पत्र पर स्वत: संज्ञान लेकर मामले की सुनवाई शुरू की है।