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    SIR पर सुनवाई: विपक्षी दलों के वकीलों की गैर-मौजूदगी पर सुप्रीम कोर्ट ने जताई चिंता

    Updated: Thu, 16 Oct 2025 10:24 PM (IST)

    उच्चतम न्यायालय ने एसआईटी मामले की सुनवाई में विपक्षी दलों के वकीलों की गैरहाजिरी पर चिंता व्यक्त की। अदालत ने निष्पक्ष सुनवाई सुनिश्चित करने के लिए सभी पक्षों की उपस्थिति को महत्वपूर्ण बताया। न्यायालय ने सुनवाई में पारदर्शिता और वकीलों की भूमिका पर जोर दिया, ताकि न्याय सुनिश्चित किया जा सके। अगली सुनवाई के लिए तारीख तय की गई है।

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    सुप्रीम कोर्ट । (पीटीआई)

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। बिहार मतदाता सूची विशेष सघन पुनरीक्षण (एसआइआर) मामले में सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं की ओर से चुनाव आयोग पर अंतिम मतदाता सूची से हटाए गए नामों का ब्योरा प्रकाशित न किये जाने का आरोप लगाए जाने पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि चुनाव आयोग अपनी जिम्मेदारी जानता है।

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    कोर्ट ने कहा कि नाम जोड़ने और हटाने के बाद, वो इसे प्रकाशित करने के लिए बाध्य है। ये टिप्पणियां न्यायमूर्ति सूर्यकांत और जोयमाल्या बाग्ची की पीठ ने गुरुवार को बिहार एसआइआर मामले में याचिकाकर्ता गैर सरकारी संगठन एजीआर के वकील प्रशांत भूषण के आरोपों पर कीं। इससे पहले प्रशांत भूषण ने कोर्ट से कहा कि चुनाव आयोग ने जिन लोगों को अंतिम मतदाता सूची से हटाया है उनका ब्योरा सार्वजनिक नहीं किया है और न ही उसके कारण बताए हैं।

    आयोग कह रहा है कि उसने सभी को नोटिस और आदेश दिये है जबकि कुछ लोगों का कहना है कि उन्हें कोई नोटिस नहीं मिला है। भूषण ने कहा कि कोर्ट आयोग को आदेश दे कि जिनका नाम जनवरी की समीक्षा मतदाता सूची में था लेकिन प्रारूप सूची में हटा दिया गया उनका ब्योरा भी आयोग सार्वजनिक करे इसके बाद जिनका नाम प्रारूप सूची में था लेकिन अंतिम मतदाता सूची से हटा दिया गया है उसका ब्योरा भी सार्वजनिक किया जाए। चुनाव प्रक्रिया में पारदर्शिता के लिए ये जरूरी है।

    बिहार में चुनाव आ गए हैं वैसे तो सूची में ज्यादा कुछ नहीं किया जा सकता लेकिन कम से कम जिन्हें हटाया गया है उनके नाम वेबसाइट पर आयोग को सार्वजनिक करने चाहिए और कारण भी बताना चाहिए। हालांकि चुनाव आयोग की ओर से पेश वरिष्ठ वकील राकेश द्विवेदी ने कहा कि इस संबंध मे कोर्ट को आदेश देने की जरूरत नहीं है, आंकड़े प्रकाशित किये जाएंगे और पहले भी किये गए हैं। तभी कोर्ट ने कहा कि चुनाव आयोग अपनी जिम्मेदारी जानता है, नाम जोड़ने और हटाने के बाद, वो इसे प्रकाशित करने के लिए बाध्य है।

    कोर्ट ने कहा कि वह अभी इस मामले को बंद नहीं कर रहा है। कोर्ट ने कहा कि वह चुनाव आयोग से अपेक्षा करता है कि एसआइआर के बाद तैयार की गई अंतिम मतदाता सूची में टाइपिंग संबंधी त्रुटियों और अन्य गलतियों को एक जिम्मेदार प्राधिकारी के रूप में देखेगा और सुधारात्मक उपाय लेकर आएगा। चुनाव आयोग ने याचिकाकर्ताओं पर गलत तथ्य कोर्ट में रखने के भी आरोप लगाए। कोर्ट मामले में चार नवंबर को फिर सुनवाई करेगा।

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