Move to Jagran APP

NRC पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकार को लगाई फटकार,कहा-कितने अवैध नागरिक हैं

SC ने असम में अवैध प्रवासियों के निर्वासन के संबंध में कहा है कि राज्य के मुख्य सचिव केंद्र द्वारा हिरासत में लिए गए व्यक्तियों की संख्या के बारे में हलफनामा दाखिल करे।

By Ravindra Pratap SingEdited By: Published: Wed, 13 Mar 2019 03:38 PM (IST)Updated: Wed, 13 Mar 2019 03:38 PM (IST)
NRC पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकार को लगाई फटकार,कहा-कितने अवैध नागरिक हैं
NRC पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकार को लगाई फटकार,कहा-कितने अवैध नागरिक हैं

नई दिल्ली, एएनआई। एनआरसी मुद्दे को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र व असम की राज्य सरकार को आड़े हाथों लिया है। कोर्ट ने कहा कि अवैध नागरिकों पर सरकार क्या कर रही है। साथ ही असम के मुख्य सचिव से कहा कि ऐसे नागरिकों की मौजूदा स्थिति क्या है, यही नहीं कोर्ट सख्त लहजे में कहा कि कितने लोगों को हिरासत में लिया गया है। इस संबंध में जल्द से जल्द जवाब दाखिल करें।

loksabha election banner

केंद्र सरकार ने सर्वोच्च अदालत को बताया कि किसी भी हालात से निपटने के लिए सुरक्षा बल राज्य में तैनात हैं, और ये तबतक रहेगा जबतक कि चुनाव संपन्न न हो जाए। 

इसके पहले सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग के सचिव को 12 मार्च को अदालत के समक्ष पेश होने को कहा था। एक जनहित याचिका में आरोप लगाया गया है कि असम में लोकसभा चुनाव से पहले कुछ श्रेणी के लोगों को उनके मताधिकार से वंचित कर दिया गया है। शुक्रवार को सर्वोच्च अदालत ने चुनाव आयोग के सचिव को व्यक्तिगत रूप से पेश होने को कहा है। चूंकि पेशी होने के बावजूद विगत एक फरवरी को आयोग का कोई भी प्रतिनिधि नहीं पहुंचा था।

यह मामला मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई, जस्टिस एसए नजीर और संजीव खन्ना की पीठ में आया है। बताया जाता है कि कुछ श्रेणियों में एनआरसी के मसौदे में तो लोगों के नाम हैं, लेकिन मतदाता सूची में उनका नाम नहीं है। जनहित याचिका में आरोप लगा है कि लोगों की एक श्रेणी ऐसी है जिसमें मतदाता सूची में लोगों के नाम नहीं हैं। वहीं दूसरी ओर, कुछ ऐसे हैं जिनके नाम 30 जुलाई, 2018 को प्रकाशित एनआरसी के मसौदे में शामिल है। याचिका में यह भी दावा किया गया है कि इन लोगों ने वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में मतदान किया था।

याचिका में यह भी कहा गया था कि कुछ लोग ऐसे हैं जिनके नाम एनआरसी के मसौदे में नहीं थे, लेकिन बाद में उन्होंने अपने नाम इसमें शामिल करने के लिए आवेदन दिया था। इन्होंने पिछले लोकसभा चुनावों में मतदान भी किया था और उन्हें अपने नाम शामिल करने का इंतजार है। तीसरी श्रेणी में वो लोग आते हैं जिन्हें विदेशियों के प्राधिकरण और गुवाहाटी हाईकोर्ट ने विदेशी घोषित किया था। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उस आदेश पर स्टे लगा दिया।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.