सुप्रीम कोर्ट ने देश में 19 ट्रिब्यूनल की नियुक्ति को हरी झंडी दी
सुप्रीम कोर्ट ने देश में 19 ट्रिब्यूनल की नियुक्ति को हरी झंडी दी। अब पुराने नियमों में कुछ संशोधन के तहत ट्रिब्यूनल में नियुक्ति की जा सकेगी।
नई दिल्ली (प्रेट्र)। सुप्रीम कोर्ट ने कैट और एनजीटी सहित सभी 19 ट्रिब्यूनल के अध्यक्ष, न्यायिक एवं अन्य सदस्यों की नियुक्ति का रास्ता साफ कर दिया। 2017 के वित्त अधिनियम और पैनल को प्रशासित करने वाले नियमों को चुनौती देने वाली याचिकाओं के लंबित रहने के कारण नियुक्ति रुकी हुई थी। मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ द्वारा शुक्रवार को दिए गए आदेश में ट्रिब्यूनल पर नए कानून एवं नियमों पर रोक लगाई गई है। पीठ ने कहा है कि केंद्रीय प्रशासनिक ट्रिब्यूनल (कैट), नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) और सशस्त्र बल ट्रिब्यूनल (एएफटी) जैसे ट्रिब्यूनल में पुराने नियमों में कुछ संशोधन के तहत नियुक्ति की जा सकेगी।
लोगों के प्रदर्शन के अधिकार पर समग्र दृष्टि की जरूरत
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि नागरिकों के प्रदर्शन के बुनियादी अधिकार के संरक्षण पर एक समग्र दृष्टि अपनाने की जरूरत है। दिल्ली में प्रदर्शन के लिए स्थान तय करने के मुद्दे पर शीर्ष अदालत ने सुनवाई की। पीठ ने कहा कि पर्यावरण और नियमित रूप से आने-जाने वाले लोगों के अधिकार के संरक्षण की भी जरूरत है। केंद्र सरकार ने शुक्रवार को शीर्ष अदालत से कुछ समय देने की मांग की। केंद्र ने कहा कि दिल्ली में खास जगह जहां नागरिक अपने प्रदर्शन के अधिकार का प्रयोग कर सकते हैं, इसे तय करने के लिए बातचीत चल रही है। जस्टिस एके सीकरी और जस्टिस अशोक भूषण ने केंद्र को दो सप्ताह का समय देते हुए आगे की सुनवाई की तारीख पांच मार्च तय कर दी।
तेजाब बिक्री आदेश लागू करने पर केंद्र से जवाब मांगा
सुप्रीम कोर्ट ने खुदरा दुकानों पर तेजाब की बिक्री पर रोक लगाने संबंधी अपना आदेश लागू कराने पर केंद्र से जवाब मांगा है। एक पीआइएल में कहा गया है कि 18 जुलाई 2013 को शीर्ष अदालत द्वारा दिए गए निर्देश का वास्तविक रूप में पालन नहीं किया जा रहा है। चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ ने केंद्र से जवाब मांगा है। याची ने कहा है कि 2010 से 2016 तक निर्धारित काउंटर से अलग तेजाब बिक्री के 1,189 मामले दर्ज किए गए थे।
निजी उद्यमों को यौन उत्पीड़न विरोधी कानून लागू करने को कहा गया
केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया कि सरकारी सेक्टर के अलावा प्रमुख कारोबारी संघों जैसे एसोचैम और फिक्की को अपने संबद्ध उद्यमों में कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न रोकथाम कानून प्रभावी रूप से लागू कराने का आग्रह किया गया है। केंद्र ने कहा कि सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को कार्यशालाएं और जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करने के लिए कहा गया है।
सरकार दे ध्यान कि बच्चों के भी होते हैं अधिकार
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सरकार को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि बच्चों के भी बुनियादी और मानवाधिकार होते हैं। उन्हें सिर्फ इसीलिए असहज परिस्थितियों में रहने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता है कि उनकी आवाज उठाने वाला कोई नहीं है। शीर्ष अदालत ने शुक्रवार को कहा कि बच्चों के अधिकार को मजबूती से लागू करने की जरूरत है। यदि कार्यपालक संसद की आज्ञा के प्रति लगातार उदासीनता बरतते रहे तो वह देश के बच्चों के लिए हानिकारक होगा। जस्टिस मदन बी. लोकुर और जस्टिस दीपक गुप्ता की पीठ ने 62 पृष्ठों के अपने फैसले में कहा है कि बच्चों को देश का भविष्य कहा जाता है। यदि उनकी देखभाल नहीं की गई तो देश का भविष्य खतरे में होगा।
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