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    दुर्घटना में बच्चे के दिव्यांग होने पर मिलेगा 4 गुना मुआवजा, सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया ऐतिहासिक फैसला

    Updated: Mon, 08 Sep 2025 11:24 AM (IST)

    सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश दुर्घटना क्लेम मामले में कहा कि दुर्घटना में बच्चे की मृत्यु या दिव्यांग होने पर मुआवजा कुशल श्रमिक मानकर दिया जाएगा। कुशल श्रमिक का न्यूनतम वेतन बच्चे की आय माना जाएगा। दावेदार को न्यायाधिकरण में दस्तावेज पेश करने होंगे अन्यथा बीमा कंपनी जिम्मेदार होगी। कोर्ट ने फैसले की प्रति मोटर दुर्घटना न्यायाधिकरणों को भेजने का निर्देश दिया है।

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    अब राज्य में कुशल श्रमिक के न्यूनतम वेतन के हिसाब से क्षतिपूर्ति मिलेगी।

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश के एक दुर्घटना क्लेम मामले में सुनवाई करते हुए एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है।

    अदालत ने कहा है कि दुर्घटना में बच्चे की मृत्यु या उसके स्थायी रूप से दिव्यांग होने पर क्षतिपूर्ति की गणना उसे कुशल श्रमिक मानते हुए की जाएगी। राज्य में दुर्घटना के समय कुशल श्रमिक का जो न्यूनतम वेतन होगा, उसे ही बच्चे की आय माना जाएगा। दावेदार व्यक्ति को न्यायाधिकरण के समक्ष न्यूनतम वेतन के संबंध में दस्तावेज पेश करने होंगे।

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    सुप्रीम कोर्ट ने कहा, "अगर वह ऐसा नहीं कर पाता है तो इन दस्तावेजों को पेश करने की जिम्मेदारी बीमा कंपनी की होगी। फैसले की प्रति सभी मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरणों को भेजी जाए, ताकि निर्देशों का सख्ती से पालन सुनिश्चित हो सके।"

    सुप्रीम कोर्ट के आदेश में क्या?

    बता दें कि अब तक दुर्घटना में बच्चे की मृत्यु या उसके स्थायी दिव्यांग होने की स्थिति में क्षतिपूर्ति की गणना नोशन इनकम (काल्पनिक आय, वर्तमान में 30 हजार रुपये प्रतिवर्ष) के हिसाब से की जाती है।

    अब राज्य में कुशल श्रमिक के न्यूनतम वेतन के हिसाब से क्षतिपूर्ति मिलेगी। वर्तमान में मध्य प्रदेश में कुशल श्रमिक का न्यूनतम वेतन 14844 मासिक यानी 495 रुपये प्रतिदिन निर्धारित है।

    • कुशल श्रमिक के न्यूनतम वेतन को ही मानें बच्चे की आय
    • कोर्ट ने फैसले की प्रति सभी मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरणों को भेजने का दिया निर्देश

    ऐसे सुप्रीम कोर्ट पहुंचा मामला?

    14 अक्टूबर 2012 को इंदौर निवासी आठ वर्षीय हितेश पटेल पिता के साथ सड़क पर खड़ा था, तभी एक वाहन ने उसे टक्कर मार दी। हितेश को गंभीर चोट आई। यह कहते हुए कि उसे स्थायी दिव्यांगता आई है, मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण के समक्ष 10 लाख रुपये का क्षतिपूर्ति दावा प्रस्तुत किया गया।

    न्यायालय ने यह मानते हुए कि हितेश को 30 प्रतिशत दिव्यांगता आई है, उसे तीन लाख 90 हजार रुपये क्षतिपूर्ति देने का आदेश बीमा कंपनी को दिया। इस फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी गई। हाई कोर्ट ने यह मानते हुए कि चूंकि हितेश की आयु सिर्फ आठ वर्ष है, क्षतिपूर्ति की राशि को बढ़ाकर आठ लाख 65 हजार रुपये कर दिया।

    सुप्रीम कोर्ट का फैसला ऐतिहासिक है। इसका असर पूरे देश में चल रहे दावा प्रकरणों पर पड़ेगा।

    राजेश खंडेलवाल, दुर्घटना दावा प्रकरण के वकील।

    इस फैसले से असंतुष्ट होकर सुप्रीम कोर्ट में अपील हुई। एक सितंबर को अपने फैसले में इसे स्वीकारते हुए सुप्रीम कोर्ट ने क्षतिपूर्ति राशि 35 लाख 90 हजार रुपये कर दी।

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