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    सुप्रीम कोर्ट में राज्यों के मुख्य सचिव क्यों मांगने लगे माफी, आवारा कुत्तों के मामले पर बेंच ने क्या कहा?

    Updated: Mon, 03 Nov 2025 11:53 AM (IST)

    सुप्रीम कोर्ट सरकारी इमारतों में कुत्तों को खाना खिलाने पर रोक लगाने की तैयारी में है। कोर्ट ने कहा कि कर्मचारी स्वयं कुत्तों को बढ़ावा दे रहे हैं, जिससे समस्या बढ़ रही है। पीड़ितों के हस्तक्षेप आवेदनों को मंजूरी दी गई है और मामले की अगली सुनवाई 7 नवंबर को होगी। कोर्ट एनिमल बर्थ कंट्रोल रूल्स के सख्ती से पालन पर जोर दे रहा है।

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    डिजिटल डेस्क,नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने आवारा कुत्तों के हमलों की बढ़ती घटनाओं पर सख्त रुख अपनाया है। आज कोर्ट में सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिव पेश हुए और बिना शर्त माफी मांगी।

    दरअसल एनिमल बर्थ कंट्रोल रूल्स के पालन को लेकर हलफनामा दाखिल न करने को लेकर कोर्ट ने सवाल पूछा था। कोर्ट ने उनकी माफी स्वीकार कर ली और अगली तारीखों में व्यक्तिगत पेशी से छूट दे दी, लेकिन चेतावनी भी दी कि भविष्य में कोई चूक हुई तो सख्त कार्रवाई होगी।

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    इसके साथ ही कुत्ते के काटने से प्रभावित लोगों की याचिकाओं को स्वीकार कर लिया गया और उन्हें कोर्ट में हस्तक्षेप की इजाजत दे दी गई हैं। खास बात यह कि कुत्तों के समर्थकों के लिए हस्तक्षेप पर 25 हजार और 2 लाख रुपये की जमा राशि अनिवार्य थी, लेकिन पीड़ितों को इससे छूट मिली है।

    मुख्य सचिवों ने मांगी माफी

    27 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल और तेलंगाना को छोड़कर बाकी सभी राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिव को तलब किया था। उस वक्त सिर्फ पश्चिम बंगाल, तेलंगाना और दिल्ली नगर निगम ने ही हलफनामा दाखिल किया था। कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए कहा था कि नोटिस सभी को भेजा गया था, फिर भी कई राज्यों की ओर से कोई प्रतिनिधि तक नहीं आया।

    आज सुनवाई में चीफ सेक्रेटरीज ने हाजिरी दी और अनकंडीशनल अपॉलजी मांगी। जस्टिस विक्रम नाथ की बेंच ने कहा कि आगे से ऐसी गलती हुई तो मुख्य सचिवों को फिर बुलाया जाएगा। गौरतलब है कि कोर्ट ने एनिमल वेलफेयर बोर्ड ऑफ इंडिया को भी मामले में पक्षकार बनाया है।

    सरकारी इमारतों में कुत्तों को खिलाने पर रोक की तैयारी

    लाइव एंड लॉ के मुताबिक, कोर्ट ने सरकारी दफ्तरों में कुत्तों को खिलाने की प्रथा पर भी सख्ती दिखाई है। जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस संदीप मेहता और जस्टिस एनवी अंजारिया की बेंच ने कहा कि वे कुछ दिनों में इस पर आदेश जारी करेंगे। कोर्ट का कहना था कि सरकारी संस्थानों में कर्मचारी खुद कुत्तों को बढ़ावा दे रहे हैं, जिससे समस्या बढ़ रही है।

    वरिष्ठ वकील करुणा नंदी ने हस्तक्षेप की कोशिश की और कहा कि इस मुद्दे पर उन्हें सुना जाए। लेकिन बेंच ने साफ इनकार कर दिया। जस्टिस नाथ ने कहा, "सरकारी संस्थानों के मामले में हम किसी को नहीं सुनेंगे।"

    नंदी ने दिल्ली की स्थानीय निकायों की ओर से निर्धारित फीडिंग एरिया में खामियां होने की बात भी उठाई, जिस पर कोर्ट ने कहा कि इसे अगली सुनवाई में देखा जाएगा।

    पीड़ितों को मिली राहत, 7 नवंबर होगी अगली सुनवाई

    सुप्रीम कोर्ट ने कुत्ते के काटने से पीड़ित लोगों के हस्तक्षेप आवेदनों को मंजूरी दे दी। उन्हें कोर्ट की रजिस्ट्री में जमा राशि देने से छूट मिली, जबकि कुत्तों के पक्ष में हस्तक्षेप करने वाले व्यक्तियों को 25 हजार और एनजीओ को 2 लाख रुपये जमा करने पड़ते हैं। कोर्ट ने पीड़ितों की बात सुनने का फैसला किया है और पूरा मामला 7 नवंबर को अगली सुनवाई के लिए रखा गया है।

    कोर्ट का जोर इस बात पर है कि आवारा कुत्तों की समस्या को नियंत्रित करने के लिए एनिमल बर्थ कंट्रोल रूल्स का सख्ती से पालन हो। इसके साथ ही कोर्ट ने कहा है कि सरकारी इमारतों में फीडिंग पर रोक का आदेश जल्द अपलोड होगा।

    (समाचार एजेंसी ANI इनपुट के साथ)

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