ट्रांसजेंडरों के साथ अब नहीं होगा भेदभाव... सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, जारी किए कई दिशा-निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने ट्रांसजेंडरों के अधिकारों की रक्षा के लिए महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। कोर्ट ने एक सलाहकार समिति का गठन किया है, जिसकी अध्यक्षता न्यायाधीश आशा मेनन करेंगी। यह समिति ट्रांसजेंडरों के लिए रोजगार, चिकित्सा देखभाल और अन्य अधिकारों पर सुझाव देगी। कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकारों को ट्रांसजेंडरों के अधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कई निर्देश दिए हैं। कोर्ट ने वेलफेयर बोर्ड बनाने का भी आदेश दिया है।

सुप्रीम कोर्ट का अहम फैसला।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को ट्रांसजेंडरों के अधिकारों को संरक्षित करने की दिशा में महत्वपूर्ण फैसला दिया है। कोर्ट ने ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के अधिकारों, रोजगार के समान अवसर, समावेशी चिकित्सा देखभाल सुनिश्चित करने और उनकी परेशानियों का हल बताने के लिए दिल्ली हाई कोर्ट की सेवानिवृत न्यायाधीश आशा मेनन की अध्यक्षता में एक सलाहकार समिति का गठन किया है। इसके अलावा कोर्ट ने ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के अधिकार संरक्षण और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों को भी कई निर्देश दिये हैं।
कोर्ट ने 2019 के कानून के संबंध में भी कुछ सुझाव दिए हैं। ये फैसला न्यायमूर्ति जेबी पार्डीवाला और आर. महादेवन की पीठ ने शुक्रवार को दिया। कोर्ट ने कहा कि ट्रांस जेंडर व्यक्तियों के अधिकारों को सुनिश्चित करने के लिए बनाए 2019 के कानून और 2020 के नियम सिर्फ कागजों पर ही लगते हैं ऐसे में कोर्ट ने संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत प्राप्त विशेष शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए आदेश दिया है कि प्रत्येक राज्य और केंद्र शासित प्रदेश में अपीलीय अथारिटी नामित की जाएगी जिसके समक्ष ट्रांसजेंडर व्यक्ति डिस्टि्रक मजिस्ट्रेट के निर्णय के खिलाफ अपील कर सकें। जैसा कि नियम नौ में कहा गया है।
ट्रांसजेंडरों के लिए बनेगा वेलफेयर बोर्ड
नियम दस के मुताबिक प्रत्येक राज्य और केंद्र शासित प्रदेश में टांसजेंडरों के लिए वेलफेयर बोर्ड बनाया जाएगा। ताकि उनके अधिकारी और हित सुरक्षित रहें और वे कल्याणकारी उपायों और नीतियों को प्राप्त कर सकें। नियम 11 के तहत प्रत्येक जिले में ट्रांस जेंडर प्रोटेक्शन सेल बनाया जाए। कोर्ट ने आदेश दिया है कि प्रत्येक राज्य और केंद्र शासित प्रदेश ये सुनिश्चित करेगा कि प्रत्येक प्रतिष्ठान कानून की धारा 11 और नियम 13(1) के तहत शिकायत अधिकारी नामित करे। अगर ऐसा मंच नहीं होगा तो राज्य मानवाधिकार आयोग इसके लिए उचित अथारिटी नामित करेगा।
सुप्रीम कोर्ट ने क्या दिया आदेश?
सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि कानून 2019 और नियम 2020 के उपबंधों की शिकायतों से निबटने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर एक समर्पित हेल्पलाइन नंबर जारी किया जाएगा। इस नंबर पर शिकायत मिलने पर तत्काल उसे ट्रांसजेंडर प्रोटेक्शन सेल को भेजा जाएगा। कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकारों को आदेश दिया है कि वे इन आदेशों का अनुपालन कड़ाई से सुनिश्चित करें।
सलाहकार समिति का किया गया गठन
इसके आलावा कोर्ट ने ट्रांसजेंडर व्यक्तियों की शिकायतों और परेशानियों के निराकरण पर सुझाव देने और उनके लिए रोजगार के समान अवसर व समावेशी चिकित्सा देखभाल सुनिश्चित करने के लिए एक सलाहकार समिति का गठन किया है।
कमेटी की अध्यक्ष दिल्ली हाई कोर्ट की सेवानिवृत न्यायाधीश आशा मेनन होंगी। अन्य सदस्यों में ट्रांसजेंडर अधिकारों की कार्यकर्ता होंगी। जिनमें अक्काई पद्माशाली, ग्रेस बानू,विजयन्ती वसंता मोगली, इसके अलावा सोनीपत के जिंदल ग्लोबल लॉ स्कूल के प्रोफेसर सौरव मंडल, बंगलूरू के नित्या राजशेखर, एयर कमांडर संजय शर्मा सेवानिवृत, होंगे।
इसके अलावा कमेटी में सरकार के विभिन्न मंत्रालयों और विभागों से आठ नामित सदस्य भी होंगे। कोर्ट ने कमेटी से कहा है कि वह गठन के छह महीने में ट्रांसजेंडरों के कल्याण के बारे में ड्राफ्ट पॉलिसी के बारे में रिर्पोट देगी। भारत सरकार कमेटी की रिपोर्ट मिलने के बाद तीन महीने में अपनी ड्राफ्ट रिपोर्ट तैयार करेगी और नीतिगत निर्णय लेगी।
कोर्ट ने आदेश में कहा है कि सलाहकार समिति जो रिपोर्ट देगी उसमें ट्रांसजेंडरों के लिए रोजगार के समान अवसर की नीति तैयार करेगी। 2019 के कानून का अध्ययन करके उसकी खामियां बताएगी। सार्वजनिक स्थलों, कार्यस्थलों पर ट्रांसजेंडरों को एक्मोडेट करने पर सुझाव देगी। शिकायत निवारण तंत्र बनाने और जेंडर और नाम बदलने का तंत्र बनाने पर विचार करेगी।
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