'संपन्न लोग सीधे SC क्यों आते हैं...', भूपेश बघेल की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी
Bhupesh Baghel Case सुप्रीम कोर्ट ने आपराधिक मामलों में प्रभावशाली व्यक्तियों द्वारा सीधे उसके पास आने की प्रथा की निंदा की है। अदालत ने भूपेश बघेल और उनके बेटे चैतन्य बघेल को जांच के सिलसिले में हाई कोर्ट जाने को कहा। अदालत ने पूछा कि उनकी याचिकाओं पर शीर्ष अदालत को क्यों विचार करना चाहिए जबकि हाई कोर्ट भी इस मुद्दे पर फैसला सुना सकता है।

पीटीआई, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को आपराधिक मामलों में राहत पाने के लिए प्रभावशाली व्यक्तियों द्वारा सीधे उसके पास आने की प्रथा की निंदा की।
अदालत ने छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और उनके बेटे चैतन्य बघेल को केंद्रीय जांच एजेंसियों की ओर से की जा रही जांच के सिलसिले में हाई कोर्ट जाने को कहा।
'हाईकोर्ट क्यों नहीं गए?'
ये मामले छत्तीसगढ़ में कथित शराब घोटाले और अन्य केस से संबंधित हैं। जस्टिस सूर्यकांत और जायमाल्या बागची की पीठ ने पूछा कि प्राथमिकी, गिरफ्तारी और रिमांड तथा मनी लॉन्ड्रिंग निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के प्रविधानों के खिलाफ उनकी याचिकाओं पर शीर्ष अदालत को क्यों विचार करना चाहिए?
पीठ ने सवालिया लहजे में पूछा, "याचिकाकर्ता हाई कोर्ट क्यों नहीं गए। वह भी संवैधानिक न्यायालय है और इस मुद्दे पर फैसला सुना सकता है। यही वह समस्या है, जिसका हम सामना कर रहे हैं। हाई कोर्ट इस मुद्दे पर फैसला क्यों नहीं कर सकता, अन्यथा उन अदालतों का क्या फायदा?"
यह नया चलन है, जब कोई संपन्न व्यक्ति सुप्रीम कोर्ट का रुख करता है, तो हम अपना रुख बदलना शुरू कर देते हैं। अगर ऐसा ही होता रहा, तो आम लोगों और उनके साधारण वकीलों के लिए सुप्रीम कोर्ट में जगह नहीं बचेगी।
सुप्रीम कोर्ट
भूपेश बघेल की क्या है दलीलें?
भूपेश बघेल और चैतन्य बघेल ने जांच एजेंसियों की दंडात्मक कार्रवाई और पीएमएलए के प्रविधानों को चुनौती देते हुए शीर्ष अदालत में अलग-अलग याचिका दायर की थी।
याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि गिरफ्तारी की घटना पूरे देश में हो रही है। ईडी जैसी जांच एजेंसियां टुकड़ों में आरोपपत्र दाखिल कर रही हैं और किसी को भी फंसाकर सबको गिरफ्तार कर रही हैं।
पूर्व मुख्यमंत्री की ओर से पेश सिब्बल ने कहा कि ऐसा नहीं चल सकता। लोगों का नाम एफआइआर या शुरुआती आरोपपत्र में नहीं होता, लेकिन अचानक उनके नाम पूरक आरोपपत्र में आ जाते हैं और उन्हें गिरफ्तार कर लिया जाता है।
बघेल के बेटे की ओर से पेश सिंघवी ने कहा कि उनके मुवक्किल का नाम दो-तीन आरोपपत्रों में नहीं था। लेकिन मार्च में अचानक उनके घर पर छापा मारा गया और बाद में एक पूरक आरोपपत्र में उनका नाम आने के बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।
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