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    Delhi vs Centre: सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में याचिका दायर करने पर लगाई रोक, 24 नवंबर को होगी सुनवाई

    By AgencyEdited By: Dhyanendra Singh Chauhan
    Updated: Fri, 11 Nov 2022 12:05 PM (IST)

    केंद्र की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (ASG) संजय जैन ने इस मामले में सिसोदिया द्वारा हलफनामा दाखिल करने पर आपत्ति जताई और दिल्ली सरकार पर शीर्ष अदालत में दायर होने से पहले हलफनामा मीडिया में लीक करने का भी आरोप लगाया। (फाइल फोटो)

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    सुप्रीम कोर्ट ने याचिका दायर करने पर लगाई रोक (फाइल फोटो)

    नई दिल्ली, एएनआइ। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली और केंद्र में सेवाओं के विवाद से संबंधित मामले में किसी भी तरह की याचिका दायर करने पर रोक लगा दी है। इस मामले को 24 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया है। शुक्रवार को दिल्ली सरकार की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष मामले का उल्लेख करते हुए कहा कि दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने प्रशासन में पक्षाघात दिखाने के लिए एक हलफनामा दायर किया है। केंद्र सरकार के अधिकारी कॉल नहीं उठा रहे हैं या बैठकों में शामिल नहीं हो रहे हैं। यह हलफनामा प्रशासन में पंगुता को दिखाता है।

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    सिंघवी ने अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली दिल्ली सरकार के साथ नौकरशाहों द्वारा असहयोग के कारण दिल्ली में प्रशासन में पक्षाघात का उल्लेख किया।

    सॉलिसिटर जनरल ने जताई आपत्ति

    केंद्र की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (ASG) संजय जैन ने इस मामले में सिसोदिया द्वारा हलफनामा दाखिल करने पर आपत्ति जताई और दिल्ली सरकार पर शीर्ष अदालत में दायर होने से पहले हलफनामा मीडिया में लीक करने का भी आरोप लगाया।

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    सिंघवी ने आरोपों का किया खंडन

    सिंघवी ने मीडिया के साथ हलफनामा साझा करने के आरोप का खंडन किया। पीठ ने सिंघवी से कहा कि दिल्ली सरकार बिना हलफनामा दाखिल किए भी ऐसा कह सकती थी।

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    किसी भी फाइलिंग की नहीं 

    सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम केंद्र से इस हलफनामे पर जवाब दाखिल करने के लिए नहीं कहेंगे। हम संवैधानिक मुद्दों से निपटेंगे। पीठ ने तब कहा कि वह मामले में आगे किसी भी फाइलिंग की अनुमति नहीं देगी।

    वहीं, अब इस मामले को 24 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया है।

    चंद्रचूड़ की अध्यक्षता में संविधान पीठ का किया गया था गठन

    बता दें कि इसके पहले सुप्रीम कोर्ट ने 22 अगस्त को कहा था कि उसने केंद्र तथा दिल्ली सरकार की कार्यकारी शक्तियों से संबंधित मुद्दों पर सुनवाई के लिए जस्टिस चंद्रचूड़ की अध्यक्षता में संविधान पीठ का गठन किया है। कोर्ट ने छह मई को दिल्ली में सेवाओं के नियंत्रण का मुद्दा संविधान पीठ के पास भेजा था।

    2019 के विभाजित फैसले को लेकर दायर की गई थी याचिका

    गौरतलब है कि यह याचिका 14 फरवरी, 2019 के विभाजित फैसले को ध्यान में रखते हुए दायर की गई है। इसमें जस्टिस एके सीकरी और अशोक भूषण (अब दोनों सेवानिवृत्त) की पीठ ने मुद्दे पर अंतिम फैसला लेने के लिए तीन सदस्यीय पीठ के गठन की सिफारिश की थी।