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    सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को बलवंत सिंह राजोआना की याचिका पर दो महीने के भीतर फैसला लेने का दिया निर्देश

    By Krishna Bihari SinghEdited By:
    Updated: Mon, 02 May 2022 05:13 PM (IST)

    सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को बलवंत सिंह राजोआना की उस याचिका पर दो महीने के भीतर फैसला लेने का निर्देश दिया जिसमें उसने पंजाब के पूर्व सीएम बेअंत सिंह की हत्या के मामले में मौत की सजा को आजीवन कारावास में बदलने की गुहार लगाइ है।

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    सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को बलवंत सिंह राजोआना की याचिका पर दो महीने के भीतर फैसला लेने को कहा है।

    नई दिल्‍ली, पीटीआइ। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सोमवार को केंद्र सरकार को बलवंत सिंह राजोआना (Balwant Singh Rajoana) की याचिका पर दो महीने के भीतर फैसला लेने का निर्देश दिया है। इस याचिका में राजोआना (Balwant Singh Rajoana) ने पंजाब के पूर्व सीएम बेअंत सिंह (Beant Singh) की हत्या के मामले में मौत की सजा को आजीवन कारावास में बदलने की गुहार लगाइ है। मालूम हो कि एक विशेष अदालत ने जुलाई 2007 में बेअंत सिंह हत्याकांड (Beant Singh Murder Case) मामले में राजोआना को मौत की सजा सुनाई थी।

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    बलवंत सिंह राजोआना (Balwant Singh Rajoana) ने याचिका में कहा है कि उसने लगभग 26 साल जेल में बिताए हैं। इस आधार पर उसकी मौत की सजा को आजीवन कारावास में बदला जाए। न्यायमूर्ति उदय उमेश ललित (Justice Uday Umesh Lalit) की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में अन्य दोषियों की अपीलों का लंबित होना राजोआना की याचिका पर फैसला लेने में बाधा नहीं बनेगा। 

    मालूम हो कि 31 अगस्त 1995 को पंजाब सिविल सचिवालय के बाहर हुए एक बम विस्फोट हुआ था जिसमें बेअंत सिंह और 16 अन्य लोगों की मौत हो गई थी। इस हत्‍याकांड में पंजाब पुलिस के पूर्व कांस्टेबल राजोआना को संलिप्तता का दोषी ठहराया गया था। अब राजोआना ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है जिस पर सुनवाई हो रही है। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने केंद्र सरकार को इस याचिका पर 30 अप्रैल तक फैसला लेने का निर्देश दिया था।

    पिछली सुनवाई में न्यायमूर्ति यूयू ललित, न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट और न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा की पीठ ने कहा था कि यदि केंद्र सरकार इस दया याचिका पर 30 अप्रैल तक फैसला नहीं लेती तो अधिकारियों को रिकार्ड के साथ कोर्ट में मौजूद रहना होगा। सर्वोच्‍च अदालत ने यह भी कहा था कि काफी पहले दिए गए आदेशों के बावजूद इस मामले में अब तक कुछ नहीं किया गया।